सोयाबीन की फलियों में आने लगे हैं दाने, अच्छी उपज के लिए ये उपाय करें किसान 

सोयाबीन की फलियों में आने लगे हैं दाने, अच्छी उपज के लिए ये उपाय करें किसान 

कृषि विशेषज्ञों की तरफ से सोयाबीन की फसल के लिए कुछ खास टिप्‍स बताए गए हैं. कई ऐसे टिप्‍स हैं जिनकी जानकारी होना जरूरी है और ये सोयाबीन की अच्‍छी फसल में काफी कारगर हैं. लगातार बारिश की वजह से सोयाबीन के खेतों में बहुत ज्‍यादा पानी होगा. अगर खेत में पानी जमा हो जाए तो तुरंत ऐसा उपाय करना चाहिए जिससे पानी निकल सके.  

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सोयाबीन की फलियों में आने लगे हैं दाने, अच्छी उपज के लिए ये उपाय करें किसान सोयाबीन की फसल के लिए कुछ जरूरी टिप्‍स

सोयाबीन खरीफ की एक महत्‍वपूर्ण फसल है और अब यह वह समय है जब इसकी फलियों में फल आने लगे हैं. देश के कई हिस्‍सों में लगातार बारिश का दौर जारी है. इस सीजन में जब फसल इस चरण में होती है तो हो सकता है कि इसके कुछ हिस्‍सों पर कोई रोग लग जाए या फिर इस पर अलग-अलग कीटनाशकों का असर नजर आने लगे. ऐसे में किसानों को यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि वो अपनी बेहतर फसल की सुरक्षा कैसे करें ताकि उन्‍हें अच्‍छी उपज हासिल हो सके. 

बारिश से फसल को नुकसान 

कृषि विशेषज्ञों की तरफ से सोयाबीन की फसल के लिए कुछ खास टिप्‍स बताए गए हैं. नीचे हम उन टिप्‍स के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो सोयाबीन की अच्‍छी फसल के लिए जरूरी हैं. लगातार बारिश की वजह से सोयाबीन के खेतों में बहुत ज्‍यादा पानी होगा. अगर खेत में पानी जमा हो जाए तो तुरंत ऐसा उपाय करना चाहिए जिससे पानी निकल सके.  

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फंगीसाइड्स यानी ऐसे पदार्थ जो कवक को खत्‍म करते हैं विशेषज्ञों की तरफ से उनका प्रयोग प्रस्‍त‍ावित किया गया है. विशेषज्ञों के अनुसार रिहीजोबैक्‍टीरिया एरियल ब्‍लाइट डीजीज को रोकने के लिए 375 से 500 ग्राम पाइराक्लोस्ट्रोबिन का प्रति हेक्‍टेयर छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा 333 एमएल प्रति हेक्‍टेयर फ्ल्‍क्‍सापाइरोक्‍साइड और पाइराक्लोस्ट्रोबिन या फिर 750 एमएल पाइराक्लोस्ट्रोबिन और एपोक्किाकोनाजोले का प्रति हेक्‍टेयर छिड़काव करना चाहिए. 

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अगर नजर आए यह बीमारी 

जहां पर ज्‍यादा बारिश होती है वहां पर एंथ्राक्‍नोज बीमारी सोयाबीन में होना आम बात है. जैसे ही इसके शुरुआती लक्षण नजर आएं वैसे ही किसानों को 625 मिली. टेबुकोनाजोले 25.9 ईसी का प्रति हेक्‍टेयर में छिड़काव करना चाहिए. या फिर  टेबुकोनाजोले 38.39 एससी का छिड़काव तुरंत करें. इसके अलावा 10 फीसदी टेबुकोनाजोले और 65 फीसदी सल्‍फर WG या फिर 12 फीसदी कैरबेनजाम और 63 फीसदी मैनकोजेब WP को फसल पर स्‍प्रे करना चाहिए. 

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क्‍या करें अगर हो येलो मोजैक रोग 

जैसे ही फसल पर येलो मोजैक पौधों पर नजर आए वैसे ही उसे खेतों से उखाड़ कर नष्‍ट कर दें. जड़ों से उखाड़े गए ऐसे पेड़ों को खेतों में नहीं छोड़ना चाहिए. यह बीमारी सफेद मक्‍खी से होती है. इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए 25 फीसदी एक्टामिप्रिड और 25 फीसदी बाईफेनथिरीन में मिलाकर सुरक्षात्‍मक उपाय के तहत पौधों पर स्‍प्रे करना चाहिए. इसके अलावा किसानों को अपने खेतों में पीले चिपचिपे जाल भी रखने चाहिए ताकि सफेद मक्‍खी को नियंत्रित किया जा सके. 

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कैमल वॉर्म भी खतरनाक 

वहीं फसल को कैमल वॉर्म से बचाने के लिए भी खास तरह के कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए. 18.5 एससी क्‍लोरांट्रानिलीप्रोले या फिर 01.90 ईसी इमामेक्टिन बेनजोआटे या 300 ग्राम ब्रोफ्लानिलिडे या 20 WG फ्लूबेडीयामाइड या 39.35 एससी फ्लूबेडीयामाइड या 25 फीसदी एक्‍टामीप्रिड और 25 फीसदी WG बाईफेनथिरीन या 15.80 ईसी इंडोक्‍साकार्ब या 4.90 फीसदी सीएस लंबाडा-साइहालोथ्रिन जैसे कीटनाशकों को फसलों पर स्‍प्रे करना चाहिए. 

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