हरियाणा के करनाल में मटर की फसल ने उन किसानों को निराश किया है जो पिछले साल की तरह अच्छे मुनाफे की उम्मीद कर रहे थे. उनकी उपज 15-20 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रही है, जो पिछले साल की 25-30 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत से काफी कम है. उन्हें कीमतों में और गिरावट की आशंका है. करनाल के दयानगर के किसान ठाकुर दास ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा कि पंजाब, यूपी और राजस्थान के किसानों की उपजों की आवक और दाम में कंपटीशन कम दरों के लिए मुख्य वजह हैं. इन राज्यों के किसान पीबी-89 किस्म को 20 किलोग्राम की पैकिंग में लाते हैं जो व्यापारियों को बोरे में 50 किलोग्राम की पैकिंग की तुलना में आकर्षित करती है.
किसान ठाकुर दास ने कहा, “अन्य राज्यों से मटर की आवक होने से हरियाणा में कीमतें कम हो गई हैं. पहले पंजाब के किसान दिसंबर के अंत तक हरियाणा की मंडी में आ जाते थे, लेकिन उत्पादन अधिक होने के कारण वे अभी भी मंडी में आ रहे हैं. इसलिए, हमें अच्छी कीमतें नहीं मिल रही हैं.''
मटर से होने वाली कमाई पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, जिले के दयानगर गांव के किसान संदीप ने कहा कि मौजूदा बाजार कीमतों ने किसान समुदाय के बीच डर पैदा कर दिया है. जो किसान मटर की फसल की खेती करते थे और अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर रहे थे, वे अब आशंका में फंस गए हैं.
किसान ने कहा, “हम खेती पर निर्भर हैं. हम पिछले साल की तरह इस साल भी अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन यह 15-20 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जा रहा है, जिससे मेरे जैसे छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका प्रभावित हो रही है,” तीन एकड़ में मटर की खेती करने वाले संदीप ने कहा.
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एक अन्य किसान, महाबीर ढिल्लों, मटर की कीमतों में गिरावट का कारण खेती के दौरान बारिश जैसे विभिन्न कारणों को मानते हैं. वे कहते हैं कि इन कारणों से क्वालिटी, मांग में उतार-चढ़ाव और किसानों के खेतों से व्यापारियों द्वारा खरीद पर असर पड़ा है. उन्होंने कहा, "खेती के दौरान बारिश ने क्वालिटी को प्रभावित किया है, अनाज सिकुड़ गया है, जिससे पिछले साल की तुलना में कीमतें कम हो गई हैं."
किसान ठाकुर दास ने कहा कि किसान अपनी उपज बेचने के लिए मार्केटिंग सिस्टम की कमी के कारण उत्पादन लागत को कवर करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. “हमें अपनी उपज बेचने के लिए कुरुक्षेत्र जाना पड़ता है, जो महंगा सौदा है. सरकार को हमारे गांवों के पास सब्जियां बेचने के लिए एक अच्छा बाजार सिस्टम बनाना चाहिए,” उन्होंने मांग की.
कोयर गांव के किसान दलीप सिंह ने किसानों की बातों को दोहराते हुए कहा, “मौजूदा कीमतें पर्याप्त नहीं हैं. हम मटर की खेती में समय, प्रयास और संसाधनों को लगाते हैं और इस साल का रिटर्न छोटे और सीमांत किसानों की कमाई को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं है,” उन्होंने कहा. हालांकि, जिला बागवानी अधिकारी (डीएचओ) डॉ. मदन लाल ने कहा कि मटर की फसल को भावांतर भरपाई योजना के तहत कवर किया गया है और सरकार द्वारा 1,100 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत तय की गई है.
डीएचओ ने कहा, "अगर किसानों को 11 रुपये प्रति क्विंटल से कम कीमत मिलती है, तो सरकार किसानों को अंतर का भुगतान करेगी, लेकिन किसानों को सब्जी मंडियों में 'जे' फॉर्म प्राप्त करके फसल बेचनी होगी."
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