हरियाणा में धान की खरीद सत्र समाप्त हो गई है. धान की खरीद समाप्त होने के कुछ दिनों बाद ही करनाल जिले के किसानों ने आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) पर उनका शोषण करने का आरोप लगाया है. किसानों का आरोप है कि सरकार की ओर से धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2320 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किए जाने के बावजूद, किसानों को नमी और अन्य क्वालिटी संबंधी मुद्दों के बहाने 2100 से 2200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इसको लेकर भारतीय किसान यूनियन (सर छोटू राम) ने मामले की जांच की मांग की है.
किसानों ने आरोप लगाया कि आढ़ती चावल मिल मालिकों के साथ मिलकर इन कम दरों पर धान खरीदते हैं, जिससे उनकी कमाई होती है. हालांकि, सरकार ने 2320 रुपये की एमएसपी दर पर भुगतान सीधे किसानों के खातों में जमा कर दिया है.
किसानों ने आरोप लगाया कि खरीद प्रक्रिया के दौरान आढ़तियों ने MSP से कम दामों पर खरीद पर्चियां जारी की थीं. वहीं, अब आढ़ती किसानों से उनके खातों में जमा की गई अतिरिक्त राशि वापस करने के लिए कह रहे हैं. इस मुद्दे को लेकर भारतीय किसान यूनियन (सर छोटू राम) ने मामले की गहन जांच और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
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BKU (सर छोटू राम) के प्रवक्ता बहादुर मेहला ने कहा कि मेरे भाई को धान के लिए 2,200 रुपये प्रति क्विंटल की खरीद पर्ची मिली. हालांकि, सरकार ने उनके खाते में 2,320 रुपये का एमएसपी जमा किया. लेकिन अब उनसे 120 रुपये वापस करने के लिए कहा जा रहा है.
बहादुर मेहला ने कहा कि उनके भाई का मामला कोई अकेला मामला नहीं है. उनके अलावा कई किसानों ने अपना धान एमएसपी से कम कीमत पर बेचा और अब वे इसी तरह की स्थिति में हैं. यह किसानों को धोखा देने का एक प्रयास है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एमएसपी पर सरकार की ओर से किया गया भुगतान अंतिम माना जाना चाहिए और किसानों को आढ़तियों की ओर से कोई भी राशि वापस करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. मेहला ने कहा कि यह एक घोटाले का संकेत है और इसकी तत्काल जांच की जरूरत है.
जिला विपणन प्रवर्तन अधिकारी सौरभ चौधरी ने बताया कि पिछले महीने ही मार्केट कमेटी सचिवों को निर्देश दिए जा चुके हैं कि वे किसानों के भुगतान में किसी भी तरह की कटौती न करें. उन्होंने कहा कि अगर किसी किसान को कोई परेशानी होती है तो वे शिकायत दर्ज करा सकते हैं, हम तुरंत कार्रवाई करेंगे.
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