कृषि से जुड़ी योजनाओं के लाभार्थियों को राशि जारी करने में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं. केंद्रीय कृषि सचिव ने तेलंगाना, तमिलनाडु समेत अन्य दक्षिणी राज्यों को कृषि क्षेत्र से जुड़ी योजनाओं के मूल्यांकन कर दिसंबर 2024 तक कार्ययोजना जमा करने को कहा है. इसके साथ ही अप्रैल 2025 तक किस्त की राशि जारी करने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में पीएम किसान सम्मान निधि, नमो ड्रोन दीदी, पीएम फसल बीमा समेत अन्य योजनाओं के लाभार्थियों को राशि जल्दी मिलेगी.
केंद्र सरकार ने दक्षिणी राज्यों से केंद्र प्रायोजित योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने का आग्रह किया है. इसके साथ ही समय पर धनराशि आवंटन और एकल नोडल खातों के उचित प्रबंधन की जरूरत पर बल दिया है. आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन में कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने एसएनए-स्पर्श (SNA-SPARSH) के संचालन, कृषि योजनाओं की इस्तेमाल नहीं की राशि और ब्याज की वापसी करने के साथ ही इस्तेमाल सर्टिफिकेट (UCs) को जल्द जमा करने पर जोर दिया.
केंद्रीय कृषि सचिव ने क्षेत्र विशिष्ट कृषि चुनौतियों से निपटने के लिए राज्य स्तरीय सम्मेलनों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र राज्यों का बहुत बड़ा भागीदार है और किसानों की स्थिति को बेहतर बनाने में उनकी मदद करेगा. इस दौरान विभिन्न योजनाओं की प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और पुडुचेरी के वरिष्ठ अधिकारियों को कृषि योजनाओं से जुड़े लाभार्थियों को तेजी से लाभ पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं.
दक्षिण के राज्यों को दिसंबर तक वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक कार्य योजना को अंतिम रूप देने की सलाह दी गई, ताकि कृषि योजनाओं से जुड़े लाभार्थियों को अप्रैल 2025 तक पहली किस्त समय पर जारी की जा सके. सचिव ने राज्यों से किसानों की रजिस्ट्री के विकास के लिए तेजी से काम करने को कहा. उन्होंने कहा कि यह एक बार का काम इससे केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजनाओं दोनों के लिए महत्वपूर्ण लाभ होगा.
केंद्रीय कृषि सचिव ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई), कृषोन्ति योजना (केवाई) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) सहित प्रमुख योजनाओं का मूल्यांकन और समीक्षा की गई है. इसके साथ ही राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन, कार्बन क्रेडिट, नमो ड्रोन दीदी, ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (ईएनएएम) और कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) पर भी चर्चा की गई.
इसके अलावा काश्तकारी खेती, बेहतर सैंपल सिस्टम, इंटर क्रॉप और जैविक खेती सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई. राज्य के अधिकारियों ने प्राकृतिक तरीके से की जा रही फसलों के खेतों को विजिट किया और टिकाऊ कृषि विधियों और ड्रोन छिड़काव तकनीक को भी देखने के साथ ही बेहतर इस्तेमाल संभावनाओं पर जोर दिया.
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