तमिलनाडु के मदुरै जिले में एक महीने देर से ही सही लेकिन सांबा धान की कटाई शुरू हो गई है. इससे किसान काफी उत्साहित हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि इस बार मार्केट में धान का अच्छा रेट मिलेगा. ऐसे मदुरै जिले में किसानों ने 29,000 हेक्टेयर में धान की खेती की है. हालांकि, किसानों को बेमौसम बारिश और बाढ़ का भी सामना करना पड़ा है. इससे धान की फसल को नुकसान भी पहुंचा है. चेल्लमपट्टी के किसानों ने आरोप लगाया है कि उन्होंने लगातार दूसरे सीजन में बारिश और बाढ़ का सामना करना पड़ा. ऐसे में किसानों ने दोनों सीज़न में हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग की है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले के कई क्षेत्रों में कटाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस बार प्रति एकड़ औसतन 18 क्विंटल धान की पैदावार हो रही है. अगले दो सप्ताह में धान खरीद की प्रक्रिया और तेज होने की उम्मीद है. इसके लिए नागरिक आपूर्ति विभाग ने जिले में कई प्रत्यक्ष खरीद केंद्र (डीपीसी) स्थापित किए हैं. आमतौर पर, जिले में फसल का मौसम हर साल जनवरी तक शुरू हो जाता था. हालांकि, इस साल फसलें फरवरी तक ही कटाई के चरण तक पहुंच सकती हैं.
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कृषि व्यवसाय विभाग की विपणन समिति के सचिव वी मर्सी जयारानी ने कहा कि किसान थिरुमंगलम और वाडीपट्टी नियामक बाजारों में आयोजित ई-नाम नीलामी के माध्यम से अपनी उपज बेचकर लाभ हासिल करने के इच्छुक हैं. पिछले 10 दिनों में, 20.34 लाख रुपये की कुल लागत पर 749.82 क्विंटल (वाडीपट्टी आरएम में 20.36 क्विंटल और थिरुमंगलम आरएम में 729.46 क्विंटल) बेचा गया, जिससे मदुरै में 22 किसानों को सहायता मिली. उन्होंने किसानों से बेहतर कीमत पर अपनी उपज बेचने के लिए ई-नाम का विकल्प चुनने का अनुरोध किया है.
इस बीच, चेल्लमपट्टी के कुछ किसानों ने कथित तौर पर जनवरी में जिले में बेमौसम बारिश के कारण 1,315 हेक्टेयर फसल के नुकसान पर अफसोस जताया है. चेल्लमपट्टी के किसानों ने कहा है कि उन्हें पिछले साल मई में एक बार आंधी और बारिश के कारण और फिर जनवरी में फसल का नुकसान हुआ था. ऐसे में उन्होंने राज्य सरकार से जल्द से जल्द नुकसान की भरपाई करने की मांग की है. वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि नुकसान की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी गई है और जल्द ही मुआवजा प्रदान किया जाएगा.
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