केंद्र सरकार ने ने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारतीय खाद्य निगम (FCI) की पूंजी 10,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 21,000 करोड़ रुपये कर दिया है. इससे खाद्यान्न खरीद और वितरण में फंड की किल्लत का सामना कर रही सरकारी एजेंसी एफसीआई को बड़ी राहत मिली है. बता दें कि जनवरी महीने में एफसीआई ने अपनी शॉर्ट टर्म फंड जरूरतों को पूरा करने के लिए 50,000 करोड़ रुपये उधार लेने के लिए बैंकों के लिए लोन टेंडर जारी किए थे.
कृषि सेक्टर को बढ़ावा देने और किसान-कल्याण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार ने भारतीय खाद्य निगम की अधिकृत पूंजी को बढ़ाकर 21,000 करोड़ रुपये कर दिया है, यह पहले 10,000 करोड़ रुपये थी. बता दें कि भारतीय खाद्य निगम देश की खाद्य सुरक्षा के स्तंभ के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खाद्यान्न की खरीद, खाद्यान्न भंडार के रखरखाव, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को वितरण और बाजार में खाद्यान्न की कीमतों को स्थिर रखने सहित विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों में अहम भूमिका निभाता है.
पूंजी में वृद्धि होने से भारतीय खाद्य निगम की ऑपरेशनल कैपेसिटी को बढ़ाने में मदद मिलेगी. वहीं, पैसों की जरूरत के अंतर को पूरा करने के लिए एफसीआई नकद लोन, शॉर्टटर्म लोन समेत अन्य तरीकों को अपनाता है. जनवरी महीने में अपनी शॉर्ट टर्म फंड जरूरतों को पूरा करने के लिए लिए 50,000 करोड़ रुपये उधार लेने की तैयारी कर रही थी. तब रिपोर्ट में कहा गया था कि एफसीआई ने अपने कैश फ्लो की कमी को पूरा करने और खाद्यान्न की खरीद के साथ ही वितरण की खातिर 3 महीने की अवधि के लिए लोन लेने के लिए कुछ बैंकों के लिए लोन टेंडर भी जारी किया था.
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार अब केंद्र सरकार ने एफसीआई का पैसा बढ़ाकर 21 हजार करोड़ कर दिया है. कहा गया है कि इस पैसे से भारतीय खाद्य निगम अपनी भंडारण सुविधाओं को मॉडर्न करेगा. इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क में सुधार और हाइटेक तकनीक को अपनाएगा. ये उपाय न केवल फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करेंगे, बल्कि उपभोक्ताओं को खाद्यान्न का कुशल वितरण भी पक्का करेंगे. वर्तमान में एफसीआई अपनी कैपेसिटी बढ़ाने के लिए सीमेंट सड़क, छत के रखरखाव, रोशनी और वेटब्रिज अपग्रेड आदि कार्य कर रहा है.
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