गेहूं की सरकारी खरीद 254 लाख मीट्रिक टन के पार पहुंच गई है. अब तक देश के 16 लाख से अधिक किसानों को इसकी एमएसपी का फायदा मिल चुका है. इस साल किसानों से सरकार 2275 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर गेहूं खरीद रही है. केंद्रीय खाद्य आपूर्ति विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 15 मई तक 46,347 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. यह रकम किसानों के खाते में पहुंच चुकी है. इस बार ज्यादातर सूबों में 72 घंटे में भुगतान का दावा किया जा रहा है, हालांकि मध्य प्रदेश के किसानों का कहना है कि वहां सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं बेचने के बाद पैसे के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.
इस साल सरकार ने 372.9 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा हुआ है. लेकिन, अब सरकारी खरीद की चाल काफी सुस्त हो चुकी है. कुछ राज्यों के खरीद केंद्रों पर सन्नाटा पसर गया है. अभी लगभग 119 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद होगी तब जाकर सरकार का लक्ष्य पूरा होगा. लेकिन, अब मंडियों में आवक कम हो गई है. खरीद के आंकड़ों को देखकर इसका साफ पता चलता है. बहरहाल, कुछ सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इस साल खरीद 300 लाख मीट्रिक तक पहुंच सकती है.
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पंजाब में गेहूं की एमएसपी के तौर पर सबसे ज्यादा 26863 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है. राज्य के 7,42,717 किसानों को एमएसपी का पैसा मिल चुका है. इसी तरह हरियाणा में 8224.8 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है, जबकि यहां के 2,61,248 किसानों को इसका फायदा मिला है. मध्य प्रदेश में 8138.1 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. यहां अब तक 4,33,406 किसानों को गेहूं की एमएसपी का लाभ हासिल हुआ है. जबकि उत्तर प्रदेश के किसानों को अब तक 1544.4 करोड़ रुपये की पेमेंट की गई है. राज्य में अब तक 1,09,852 किसानों ने एमएसपी पर गेहूं बेचा है.
केंद्र सरकार ने पंजाब को 130 लाख मीट्रिक गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था, जबकि 15 मई तक 122 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा की खरीद हो चुकी है. हरियाणा में 80 लाख मीट्रिक टन के टारगेट के मुकाबले अब तक 70 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है. जबकि मध्य प्रदेश में 80 लाख टन का लक्ष्य है और अब तक 46 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई है. उत्तर प्रदेश में 8,46,903 और राजस्थान में 8,12,923 मीट्रिक टन की खरीद हो चुकी है.
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