लहसुन एक मसाला फसल है. यह एक नकदी फसल है. लहसुन का उपयोग इसकी सुगंध, स्वाद और गुणवत्ता के कारण लगभग हर प्रकार की सब्जियों और मांसाहारी व्यंजनों को बनाने में किया जाता है. इसका उपयोग हाई ब्लड प्रेशर, पेट के विकारों, पाचन विकृतियों, गठिया की बीमारी और खून संबंधी बीमारियों से बचाने के लिए होता है. बहरहाल, इसका दाम इस समय रिकॉर्ड बना रहा है और इस बीच बुवाई का सही समय आ गया है. किसानों ने इस साल 200 से लेकर 400 रुपये किलो तक के थोक दाम पर लहसुन की बिक्री की है. ऐसे में इस बार ज्यादा किसान इसकी खेती करेंगे. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान इस समय लहसुन की बुवाई कर सकते हैं. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान जरूर रखें ताकि उसका अंकुरण ठीक हो.
लहसुन को ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है. अधिक गर्मी और लंबे दिन इसके कंद निर्माण के लिए उत्तम नहीं रहते हैं. छोटे दिन इसके कंद निर्माण के लिए अच्छे माने जाते हैं. इसकी सफल खेती के लिए 30 डिग्री सेल्सियस तापमान, 10 घंटे का दिन और 70 फीसदी आर्द्रता उपयुक्त होती है. अगर लहसुन की खेती में अच्छी पैदावार लेनी है तो बुवाई के लिए उन्नत किस्मों का चयन करें. खेती की सफलता बहुत हद तक अच्छे किस्मों के बीज पर निर्भर करती है. आईए लहसुन की उन्नत किस्मों के बारे में जानते हैं.
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लहसुन की इस किस्म में प्रत्येक कन्द ठोस और उसकी बाहरी त्वचा चांदी की तरह सफेद होती है. इसकी कली क्रीम के रंग की होती है. इस किस्म का लहसुन 150-160 दिनों में तैयार हो जाता है. पैदावार 150-160 क्विंटल प्रति हेक्टयर हो जाती है.
इस किस्म के लहसुन का कंद क्रीम रंग का होता है. पैदावार 130 से 140 क्विंटल प्रति हेक्टयर हो जाती है. फसल 165-170 दिनों में तैयारी हो जाती है. खास बात यह है कि यह किस्म बैंगनी धब्बा और झुलसा रोग के प्रति सहनशील है.
इस किस्म के कंद सफेद और बड़े आकार व्यास (4.76 से.मी.) के होते हैं. कली क्रीम रंग की होती है. एक कंद में 15-16 क्लाब होते हैं. इस किस्म का लहसुन 140-150 दिनों में तैयार हो जाता है. इसकी पैदावार 175-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
इसके कंद सफेद और बड़े आकार (ब्यास 4.5 से.मी.) के होते हैं. कली क्रीम रंग की होती है. एक कंद में 18-23 क्लाब होते हैं. इस किस्म का लहसुन 165-175 दिनों में तैयार हो जाता है. इसकी पैदावार 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
लहसुन की खेती के लिए उचित जल निकास वाली दोमट मिट्टी अच्छी होती है. भारी जमीन में इसके कंदों का विकास नहीं हो पाता है. इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 उपयुक्त रहता है. दो-तीन जुताईयां करके खेत को अच्छी प्रकार समतल बनाकर क्यारियां एवं सिंचाई की नालियां बना लेनी चाहिए. ताकि बारिश का पानी निकल जाए. जिस जमीन में लहसुन की खेती करने जा रहे हैं उसमें देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक जरूर डालें.
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