महाराष्ट्र के नासिक जिले में किसानों ने दूध और प्याज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. भारी संख्या में किसान सड़कों पर उतर आए हैं. कहा जा रहा है कि अहमदनगर के सांसद नीलेश लंके के नेतृत्व में आंदोलनकारी अन्नदाताओं ने किसानों को न्याय दिलाने के लिए सोमवार को सरकारी कार्यालय बंद करने की चेतावनी दी है. किसानों का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो आंदोलन आगे भी जारी रहेगा.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के किसान शुक्रवार से अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. रविवार को किसानों ने कहा कि वे प्याज और अन्य कृषि उत्पादों के साथ-साथ दूध उत्पादकों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की भी मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है, तो आंदोलन जारी रहेगा. इससे कम पर हम सरकार से समझौता करने को तैयार नहीं हैं. किसानों ने कहा कि आंदोलन करते हुए तीन दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है. हम अपनी मांगों को लेकर अहमदनगर जिला कलेक्ट्रेट के बाहर आसमान के नीचे खा रहे हैं और सो रहे हैं.
ये भी पढ़ें- सभी जिलों में सहकारी बैंक और दूध उत्पादक संघ बनेंगे, अमित शाह बोले- 2 लाख पंचायतों में PACS बनाने का टारगेट
आंदोलनकारी किसानों ने कहा कि जिले के संरक्षक मंत्री और पशुपालन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भी अभी तक किसानों से बातचीत शुरू नहीं की है. यहां तक कि राज्य सरकार का कोई अन्य व्यक्ति भी किसानों से बात नहीं कर रहा है. एनसीपी जिला अध्यक्ष राजेंद्र फाल्के ने कहा कि इसलिए, अब हम किसानों के सामने आने वाले मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए सोमवार से सरकारी कार्यालय बंद करने की सोच रहे हैं. किसानों ने रविवार को अहमदनगर शहर में एक ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया था, जिसके कारण जिला मुख्यालय के आसपास यातायात जाम हो गया था. रैली कलेक्ट्रेट से शुरू हुई और शहर के विभिन्न हिस्सों जैसे स्टेट बैंक चौक, चांदनी चौक, बस स्टेशन और राज पैलेस होटल होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची. रैली में लांके ने भी भाग लिया.
शुक्रवार को किसानों की मांग थी कि अहमदनगर जिले के कलेक्टर सिद्धराम सलीमथ कार्यालय से बाहर आएं और उनसे बात करें. साथ ही उनका ज्ञापन स्वीकार करें. जब यह मांग ठुकरा दी गई तो किसान और भड़क गए. वहीं, उनके बजाए डिप्टी कलेक्टर राजेंद्र पाटिल ने उनकी मांगों का ज्ञापन स्वीकार कर लिया. ज्ञापन में किसानों ने प्रकृति की मार से पीड़ित किसानों के लिए पूर्ण ऋण माफी की मांग की है. साथ ही दूध की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक अधिनियम का गठन का भी मुद्दा उठाया गया है. इसके अलावा इनपुट लागत को कवर करने और दूध उत्पादकों को राहत देने के लिए दूध के लिए 40 रुपये प्रति लीटर का सुनिश्चित मूल्य और स्थानीय दूध उत्पादकों की सुरक्षा के लिए देश में दूध पाउडर के आयात पर रेगुलेशन शामिल भी हैं.
ये भी पढ़ें- जुलाई में मौसम अनुकूल कृषि कार्यों के लिए एडवाइजरी जारी, यूपी समेत कई राज्यों के किसान जरूर अपनाएं ये टिप्स
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today