लातूर में गहराया पानी का संकट, रबी फसलों की खेती करने वाले किसानों की बढ़ी मुसीबत

लातूर में गहराया पानी का संकट, रबी फसलों की खेती करने वाले किसानों की बढ़ी मुसीबत

जिन जलाशयों में 25% प्रतिशत पानी बचा हुआ है. ऐसे सभी जलाशयों की रखवाली किए जाने के निर्देश जिला कलेक्टर ने सिंचाई विभाग को दिए हैं. जिससे अब किसान इन डैम के पानी को खेती की सिंचाई के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते. अगर कोई किसान इन आरक्षित किए गए डैम के पानी का इस्तेमाल खेत के सिंचाई के लिए करते हुए पकड़ा गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. 

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लातूर में गहराया पानी का संकट, रबी फसलों की खेती करने वाले किसानों की बढ़ी मुसीबतDrought crisis

महाराष्ट्र के लातूर जिले पर इस वक्त सूखे का खतरा मंडराता हुआ दिख रहा है. इस साल मॉनसून में भी जिलें में कुछ खास बारिश नहीं हुई है. बता दें कि मौजूदा स्थिति में बारिश न होने के कारण एक तरफ जिले में बहने वाली सभी नादियां सूख गई हैं तो दूसरी ओर खेतों को सिंचाई के लिए पानी का वितरण करने वाले मुख्य छोटे और बड़े 171 जलाशयों में अब सिर्फ़ 28.52 प्रतिशत ही पानी बचा हुआ है. ऐसे हालात में बारिश ने धोखा देने के साथ ही अब सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था न होने से खेत में बुवाई की गई फसल आंखों के सामने ही बर्बाद होती दिख रही है. 

किसानों के पास अब क्या रास्ता बचा है उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है. मॉनसून का सीजन भी खत्म हो गया है. जिले को पीने के पानी का सप्लाई करने वाले सभी जलाशायों में भी अब सिर्फ 28 प्रतिशत ही पानी बचा है. इसके कारण आने वाले गर्मी के मौसम में लातूर के लोगों को फिर से एक बार पीने के पानी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. 

डैम में बचा है कम पानी 

लातूर जिले में स्थित पानी के मुख्य 8 जलाशयों में इस साल बारिश न होने से पानी का स्तर घटता हुआ नजर आ रहा है. आज के दिन इन परियोजनाओं में तावरजा में 2%, रेणापूर में 24%, व्हटी और तिरु में जीरो प्रतिशत, देवर्जन में 30 प्रतिदिन, घरणी में 18%, मसलगा में 25% और साकोल में 40% पानी की कमी है. लातूर शहर को पानी का वितरण करने वाले माजरा डैम में भी सिर्फ 25% ही पानी बाकी है. जिसे देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से इस बचे हुए पानी को पीने के लिए आरक्षित किया गया है. 

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डैम में बचे पानी को इस्तेमाल नहीं करेंगे किसान

जिन जलाशयों में 25% प्रतिशत पानी बचा हुआ है. ऐसे सभी जलाशयों की रखवाली किए जाने के निर्देश जिला कलेक्टर ने सिंचाई विभाग को दिए हैं. जिससे अब किसान इन डैम के पानी को खेती की सिंचाई के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते. अगर कोई किसान इन आरक्षित किए गए डैम के पानी का इस्तेमाल खेत के सिंचाई के लिए करते हुए पकड़ा गया तो उसके खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई किए जाने के निर्देश जिला प्रशासन की ओर से दिए गए हैं. 

पानी की समस्या बढ़ी

बढ़ रही पानी की समस्या के कारण लातूर एमआईडीसी को मांजरा डैम से किया जाने वाला पानी सप्लाई भी बंद कर दिया गया है. इसके साथ ही लातूर शहर को भी अब 5 दिन में एक बार पीने के पानी की सप्लाई की जा रही है.
 

सिंचाई विभाग ने किसानों से क्या कहा?

जो किसान डैम के पानी पर निर्भर होकर खेती कर रहे हैं ऐसे किसानों की पानी की कमी के कारण मुसीबत बढ़ गई है. क्योंकि जिले में मौजूदा स्थिति में पानी की उपलब्धता के हालात बहुत खराब हैं. सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता अमर सिंह पाटील ने किसानों से कम पानी वाली फसलों की खेती का आह्वान किया है. अगर कोई किसान इन जलाशयों में से अपने खेत को पानी की सिंचाई करता है उनके खिलाफ सख्त दंडात्मक कारवाई होगी. 

किसानों को मुआवजा देने की उठी मांग

इस मुद्दे को लेकर स्वाभिमानी किसान संगठन के उपाध्यक्ष सत्तार पटेल कहा है कि इस साल लातूर जिले में सूखा पड़ने की वजह से यहां के जलाशय में मौजूद पानी को पीने के लिए आरक्षित किया गया है. जिससे अब किसान अपनी रबी फसल को इन जलाशयों से पानी नहीं दे सकेंगे. ऐसे हालात होने के बावजूद अभी तक किसानों को अग्रिम फसल बीमा नहीं दिया गया है. इसीलिए किसानों को फसल बीमा देने के साथ ही पानी की कमी के कारण रबी फसलों को लेकर हो रहे नुकसान के बदले प्रशासन की ओर से मुआवजा दिया जाए.

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