हमारे देश में प्रचलित फसल चक्र की कुछ फसलें ऐसी हैं, जो बहुत कम लागत में, बहुत कम समय में और बिना अधिक परेशानी के अच्छी पैदावार देती हैं. ऐसी फसलों को आजमाकर आप काफी लाभ उठा सकते हैं. ऐसी फसलों में सब्जी मटर भी शामिल हैं जो कम लागत और कम समय में अधिक उपज देती हैं. खरीफ और रबी सीजन के बीच सब्जी मटर की बुआई करके आप 50 से 60 दिनों में पैदावार प्राप्त कर सकते हैं और लाखों रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं. इसकी हरी फलियों का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मटर की कई अगेती किस्में विकसित की गई हैं. यह किस्में 50 से 60 दिन में तैयार हो जाती हैं .इसके बाद खेत जल्दी से साफ हो जाता है, किसान रबी फसल की कटाई कर सकता है. किसान सितंबर के आखिरी सप्ताह से सितंबर के मध्य तक कम अवधि वाली मटर की किस्मों की बुआई कर सकते हैं. कमाई कर सकते हैं.अगर आप भी मटर की अगेती बुआई के बारे में सोच रहे हैं तो मटर की इन टॉप 5 किस्मों की बुआई कर सकते हैं.
काशी नंदिनी भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विकसित किस्म है. इसके पौधे 45-50 सेमी लम्बे होते हैं और पहला फूल बुआई के लगभग 30 दिन बाद आता है और पहली फलियों की उपज बुआई के लगभग 60-65 दिन बाद प्राप्त होती है. इसकी फलियां 6-8 सेमी. लम्बी तथा प्रत्येक फली में दानों की औसत संख्या 6-8 होती है सूखने के बाद बीज गोलाकार रहते हैं. हरी फलियों की औसत उपज 30-32 क्विंटल प्रति एकड़ मिलती है और बीज उत्पादन 5-6 क्विंटल प्रति एकड़ होता है मटर की यह किस्म जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, पंजाब, यूपी, झारखंड और कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के लिए काफी बेहतर है.
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काशी उदय इस किस्म का पौधा 58 से 62 सेमी. लम्बी होती है तथा इसमें बुआई के 35 दिन बाद फूल आते हैं. पौधे गहरे हरे रंग के होते हैं और इनमें छोटी-छोटी गांठें और प्रति पौधे 8-10 फलियां होती हैं. प्रत्येक फली में बीजों की संख्या 8-9 होती है. पहली फली की उपज बुआई के 60-65 दिन बाद प्राप्त होती है. यह किस्म प्रति एकड़ औसतन 35-40 क्विंटल हरी फलियां पैदा करती हैं. इस किस्म से तीन से चार बार फलियों की तुड़ाई ली जा सकती हैं और औसत बीज उपज 5 से 5.5 क्विंटल है. यह किस्म भी भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विकसित की गई हैं. मटर की यह किस्म बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश राज्यों में खेती के लिए बहुत उपयुक्त है
काशी अगेती भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी में विकसित किया गया है. इस किस्म में 50 प्रतिशत फूल आने में केवल 30-35 दिन लगते हैं और पहला फूल 8वीं-9वीं गांठ पर आता है. फलियां घुमावदार और 9.0-9.5 सेमी. लम्बी, गहरे हरे रंग का होती हैं, प्रत्येक पौधे में 8-9 फलियां होती हैं जिनका औसत वजन 9-10 ग्राम होता है.इसके बीज बहुत मीठे होते हैं. फलियों की पहली कटाई बुआई के 55-60 दिन बाद शुरू होती है और औसत उपज 45-50 प्रति एकड़ होती है.
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काशी मुक्ति सब्जी मटर की किस्म चुर्ण आसिता रोग ऱोधी है यह अपनी मिठास के साथ-साथ अगेती किस्म होने के कारण भी जाना जाता है. इसमें काशी उदय और काशी नंदिनी की तुलना में अधिक गर्मी सहनशीलता है और दोनों किस्मों की तुलना में 5-10 दिन देर से पकती है, लेकिन उत्पादन में कोई कमी नहीं आती है. प्रत्येक पौधे से 2-3 शाखाएं निकलती हैं और प्रत्येक पौधे से 10-12 फलियां प्राप्त होती हैं. प्रत्येक फली में 8-9 दाने विकसित होते हैं. इसकी हरी फलियों का उत्पादन प्रति एकड़ 50 कुंतल तक उपज प्राप्त होता है. इस किस्म में फूल 5 से 40 दिन बाद दिखाई देने लगता है .बुआई के 65-70 दिनों में फलियां तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं. ये किस्म भी भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी द्वारा विकसित की गई है यू.पी पंजाब और झारखंड में ये किस्म काफी उपयुक्त है.
अपने देश में बड़े एरिया में खेती की जाने वाली यह फ्रांस की एक विदेशी किस्म है. इस किस्म की पहली तुड़ाई बुआई के 60-65 दिन बाद होती है. हरी फलियों का 40-50 कुंतल प्रति एकड़ उत्पादन होता है .अर्केल किस्म के पौधे 45-50 से.मी. लम्बे होते हैं. प्रथम पुष्पन बुवाई के लगभग 30-35 दिनों बाद होता है और फलियां गहरे हरे रंग की तथा औसतन 8.5 से.मी. लम्बी तथा नीचे की तरफ मुड़ी रहती हैं. प्रत्येक फली में बीजों की संख्या 6–8 तक होती है.
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किसान सब्जी की उन्नत किस्म राष्ट्रीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी से प्राप्त कर सकते हैं या ऑनलाइन बीज पोर्टल के माध्यम से घर बैठे ऑर्डर कर सकते हैं. इसके लिए आप भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के बीज पोर्टल वेबसाइट iivr.icar.gov.in के माध्यम से अपनी पसंद के बीज ऑर्डर कर सकते हैं या आप अपने नजदीकी कृषि केंद्र या नजदीकी कृषि विश्वविद्यालय के बीज विभाग से संपर्क करके बीज प्राप्त कर सकते हैं.
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