भारत में चने की खेती 7.54 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है. जिससे हर साल औसतन 5.75 मिलियन टन उपज प्राप्त होती है. भारत में चने की खेती सबसे अधिक मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मैदानी जिलों में की जाती है. यह सबसे महत्वपूर्ण दलहन फसल में से एक है. यह उन पहली दलहानी फसलों में से एक है जो एशिया और यूरोप दोनों जगहों पर प्राचीन काल से उगाई जाती रही हैं. भारत, पाकिस्तान, इथियोपिया, बर्मा और तुर्की मुख्य चना उत्पादक देश हैं. उत्पादन और रकबा के मामले में, पाकिस्तान दुनिया में दूसरे स्थान पर है और उसके बाद भारत है.
यहां पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र प्रमुख चना उत्पादक राज्य हैं. चना के खेती कर रहे किसानों के मन में कीटों और रोगों का डर सबसे अधिक बना रहता है. ऐसे में आज इस लेख में हम बात करेंगे चने की फसल में लगने वाले प्रमुख्य रोग चना विल्ट और चना स्क्लेरोटिनिया ब्लाइट रोग और उसके नियंत्रण के बारे में.
चने के पौध चना विल्ट बीमारी का मुख्य कारण फुसैरियम ऑक्सीस्पोरम f.Sp. सिसरो है. अधिकांश चना उगाने वाले स्थानों में इस बीमारी से काफी नुकसान होता है.रोग के लक्षण अंकुर अवस्था और पौधे के विकास के बाद के चरण दोनों में देखे जा सकते हैं. पत्तियाँ सूखने से पहले पीली पड़ने लगती हैं. जिस वजह से पौधे सूख जाते हैं और पीले भी हो जाते हैं. जड़ें काली हो जाती हैं और बिखर जाती हैं.
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चने के पौध में इस रोग का खतरा स्क्लेरोटिनिया स्क्लेरोटोरियम नामक फंगस की वजह से होता है. जड़ों को छोड़कर, पौधे का सभी भाग रोग से प्रभावित होता है. प्रभावित होने वाले पौधे पहले पीले, फिर भूरे और अंत में सूख जाते हैं.
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