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गन्ना किसानों के लिए धानुका ने लॉन्च किया 'टिजोम', जानें क्या है इसकी विशेषता

गन्ना किसानों के लिए धानुका ने लॉन्च किया 'टिजोम', जानें क्या है इसकी विशेषता

राहुल धानुका ने कहा कि यह नया उत्पाद कंपनी के मजबूत गन्ना पोर्टफोलियो को और मजबूत करेगा और गन्ना किसानों के लिए मददगार होगा. टिज़ोम चालू वित्तीय वर्ष में लॉन्च किया गया 10वां नया उत्पाद है. इसने छह जैविक, दो शाकनाशी (herbicide) और एक कीटनाशक (pesticides) किसानों के लिए खास पेश किया है.

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अब गन्ने की फसल में नहीं रहेगी खरपतवार की चिंता! अब गन्ने की फसल में नहीं रहेगी खरपतवार की चिंता!

धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने देश के किसानों के लिए एक नया उत्पाद ‘टिज़ोम' पेश किया है जो किसानों को गन्ने की फसल में खरपतवार को नियंत्रित करने में किसानों की मदद करेगा. कंपनी ने कहा कि यह उत्पाद अभी कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में लॉन्च किया है और जल्द ही अन्य राज्यों में भी इसे लॉन्च किया जाएगा. इसको लेकर अभी तैयारी जारी है. आपको बता दें टिज़ोम को जापान स्थित निसान केमिकल कॉरपोरेशन के सहयोग से तैयार किया गया है. धानुका एग्रीटेक के अनुसार, टिज़ोम में दो प्रमुख तत्व होते हैं - हेलोसल्फ्यूरॉन मिथाइल 6 प्रतिशत और मेट्रिबुज़िन 50 प्रतिशत, जो संकीर्ण पत्ती वाले खरपतवार, चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार और साइपरस रोटंडस सहित खरपतवारों को हटाने या कम करने का काम करते हैं. 

धानुका ने लॉन्च किया 10वां नया उत्पाद

कंपनी के संयुक्त प्रबंध निदेशक, राहुल धानुका ने कहा कि यह नया उत्पाद कंपनी के मजबूत गन्ना पोर्टफोलियो को और मजबूत करेगा और गन्ना किसानों के लिए मददगार होगा. टिज़ोम चालू वित्तीय वर्ष में लॉन्च किया गया 10वां नया उत्पाद है. इसने छह जैविक, दो शाकनाशी (herbicide) और एक कीटनाशक (pesticides) किसानों के लिए खास पेश किया है.

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गन्ने में खरपतवार की समस्या

गन्ना साल भर चलने वाली फसल है इसलिए इसमें रबी, ख़रीफ़ और जायद मौसम के खरपतवार उगते हैं. सितम्बर-अक्टूबर में बोये गये गन्ने की शुरुआती अवस्था में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार अधिक उगते हैं तथा बाद में फरवरी-मार्च में बोये गये गन्ने में खरीफ मौसम के खरपतवार उगने लगते हैं. गन्ने की फसल में उगने वाले खरपतवारों को मुख्यतः तीन भागो में बाटा गया है. चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार, संकरी पत्ती वाले खरपतवार, मोथाकुल खरपतवार.

जरूरी पोषक तत्वों को सोखता है खरपतवार

गन्ने की फसल 12 से 18 महीने तक खेत में पड़ी रहती है. इसके साथ ही इसमें खाद और पानी की भी काफी जरूरत होती है. ये स्थितियां खरपतवारों की वृद्धि और विकास में मदद करती हैं. गन्ने की फसल में खरपतवार फसल की तुलना में 5.8 गुना नाइट्रोजन, 7.8 गुना फास्फोरस और तीन गुना पोटाश का उपयोग करते हैं. इसके अलावा, खरपतवार नमी का एक बड़ा हिस्सा सोख लेते हैं जिस वजह से फसल को आवश्यक रोशनी और जगह की कमी रहती है. इसके अलावा, खरपतवार फसलों के कीटों और रोग फैलाने वाले जीवाणुओं को भी रहने का जगह प्रदान करते हैं. खरपतवारों की संख्या और प्रजाति के आधार पर गन्ने की उपज 14 से 75 प्रतिशत तक कम हो जाती है और साथ ही चीनी की मात्रा और गुणवत्ता भी कम हो जाती है.