पुलवामा जिले में तेज हवाओं और धूल भरी आंधी के कारण कई घरों और बागों को भारी नुकसान हुआ है. कई इलाकों में पेड़ उखड़ गए हैं, जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है. तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि तेज हवाओं से आम के नए और पुराने पेड़ पूरी तरह से धराशायी हो गए हैं. पेड़ों में आम के कच्चे फल देखे जा सकते हैं. मौसम की इस मार से किसानों में मायूसी और परेशानी दोनों है. किसानों की उम्मीद पर पानी फिर गया है.
एक किसान ने बताया कि जब सुबह 6 बजे अपने बाग में आए तो देखा कि सब पेड़ टूट गए हैं. उनके बाग में 1000 पेड़ थे जो पूरी तरह से टूट गए हैं. बाग में सेब के पोल भी टूट गए हैं. किसान ने कहा, एक बात को लेकर ताज्जुब है कि कंक्रीट पोल कैसे टूटे. बिक्री करने वालों ने बताया था कि ये इंपोर्टेड पोल हैं, कंक्रीट पोल है, फिर तेज हवाओं में ये टूटे कैसे. किसान ने कहा, पोल टूटने से सबसे अधिक नुकसान हुआ है क्योंकि सभी पेड़ गिर गए हैं. पोल नहीं टूटता तो एक भी पेड़ नहीं गिरता.
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किसान ने बताया कि 2021 में उन्होंने अपना बाग लगाया था. तब से 4 साल में बहुत खर्च हुआ है. उस हिसाब से 10-20 लाख रुपये का नुकसान है. एक-एक पेड़ का खर्च 10-20 रुपये आया है. इस हिसाब से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है.
एक किसान जायद अहम बट ने कहा कि कल शाम को तेज हवा आई और पूरे पेड़ गिर गए. 7 कनाल खेत में 1150 सेब के पड़े लगे थे. उसमें से 550 पेड़ खत्म हो गए. इससे तकरीबन 10 लाख रुपये का नुकसान हो गया है. इसमें सेब लगे हुए थे. सेब का पूरा हिस्सा गिर गया है और पोल का आधा हिस्सा चकनाचूर हो गया है. ये कंपनी वालों की गलती है जिसने पोल बनाया है. पोल आधे हिस्से से बर्बाद हो गया. हवा तेज थी लेकिन पोल का मैटेरियल ठीक नहीं था, तभी वह टूट गया.
किसानों का कहना है कि तेज हवा के चलते उन पर आफत का पहाड़ टूट गया है. उन्होंने इस नुकसान के लिए कंक्रीट के पोल और उसे बनाने वाली कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया. किसानों का कहना है कि तेज हवा से पोल उखड़ जाता है, लेकिन बीच से टूट गया है, इसका मतलब है कि उसे बनाने में घटिया सामान का इस्तेमाल हुआ. जबकि कंपनी ने कहा था कि पोल का मैटेरियल इंपोर्टेड है. इस तरह पोल का टूटना सभी किसानों को हैरत में डालता है.
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