Bihar Rain: मौसम ने की बेरुखी अब क्या करें किसान? बीएयू के कृषि वैज्ञानिक दे रहे हैं सलाह, इन फसलों की करें खेती

Bihar Rain: मौसम ने की बेरुखी अब क्या करें किसान? बीएयू के कृषि वैज्ञानिक दे रहे हैं सलाह, इन फसलों की करें खेती

राज्य के किसान खरीफ सीजन में आकस्मिक फसलों की खेती करें. मौसम की बेरुखी को देखते हुए बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक किसानों को आकस्मिक फसलों की खेती करने का सुझाव दे रहे हैं.

Advertisement
Bihar Rain:  मौसम ने की बेरुखी अब क्या करें किसान? बीएयू के कृषि वैज्ञानिक दे रहे हैं सलाह, इन फसलों की करें खेतीबिहार सरकार आकस्मिक फसलों की खेती पर दे रही जोर. फाइल फोटो-किसान तक

मौसम की बेरुखी के कारण राज्य में वर्षा का ग्राफ काफी कम है. वर्षा कम होने के कारण किसानों की परेशानियां बढ़ गई हैं. वहीं प्रतिकूल परिस्थिति में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ किसानों को आकस्मिक फसलों की खेती करने का सुझाव दे रहे हैं. उनका मानना है कि किसान इन फसलों की खेती से अपनी कोठी भर सकते है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सुखाड़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए आकस्मिक फसल प्रबंधन के तहत धान का बीचड़ा 30-40 दिनों का हो गया है तो एक सप्ताह और बारिश का इंतजार किसान कर सकते हैं. 

बारिश होते ही किसान अपनी खेतों में 45-50 दिनों का बिचड़ा रोपण दूरी को कम करते हुए रोपनी कर सकते हैं. किसान 10 से.मी.की दूरी पर प्रति हील 4-5 बीचड़े का प्रयोग करते हुए रोपनी कर सकते है. वहीं जिन इलाकों में पानी की दिक्कत है. उन स्थानों पर अन्य आकस्मिक फसलों की खेती कर सकते है.

ये भी पढ़ें- Monsoon 2023: सावन का महीना मगर खेतों में पड़ रही दरार, बस अब बची है उम्मीद और बारिश का इंतजार

राज्य में अब तक करीब 46 प्रतिशत तक कम हुई बारिश

बिहार में एक जून से 28 जुलाई  के बीच सामान्य की तुलना में करीब 46 प्रतिशत कम वर्षापात हुई है. वहीं जोन-1 में सामान्य वर्षापात की तुलना में 59.1 प्रतिशत, जोन-2 में 39.0 प्रतिशत एवं जोन 3 ए में 39.7 प्रतिशत और जोन 3 बी में 40.4 प्रतिशत कम वर्षा हुई है. इन क्षेत्रों में वर्षा नहीं होने के कारण सुखाड़ की समस्या उत्पन्न हो गई है.

धान की नर्सरी फाइल फोटो-किसान तक
धान की नर्सरी फाइल फोटो-किसान तक

बिचड़ा नहीं है डाला तो सीधी बुआई के जरिये अल्प अवधि धान की करें खेती 

विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अगर जिन किसानों ने धान का बिचड़ा नहीं डाले है. वैसे किसान 115-130 दिनों वाले धानके प्रभेदों जैसे सहभागी, सबौर दीप, स्वर्ण श्रेया, प्रभात, शुष्क सम्राट, सबौर हर्षित धान, सबौर अर्धजल एवं कम अवधि वाली किस्मों का बीचड़ा सिंचाई सुविधा वाले खेत में डाल सकते है. वहीं कम अवधि के उपलब्ध धान की  उन्नतशील किस्मों को  सीधी बुआई अथवा ड्रम सीडर के माध्यम से लगा सकते हैं. वर्तमान में बुवाई से पूर्व किसान धान के बीजों की प्राइमिंग करें. ऐसा करने से बीज का जमाव शीघ्र होता है. इसके साथ ही निचली जमीन में हथिया नक्षत्र की बारिश की संभावना को देखते हुए किसान भाई धान के 70-90 दिनों वाले प्रभेदों की सीधी बुआई अथवा रोपनी कर सकते हैं. 

ये भी पढ़ें-Success Story: मटर, प्याज के बीज की खेती से बदली किस्मत, सालाना दस लाख रुपये का मुनाफा

ऊंची जमीन में धान की जगह इन फसलों की करें खेती

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक बताते हैं कि कमजोर मानसून को देखते हुए किसानों को धान की रोपनी ऊंची जमीन में करने से बचना चाहिए. वैसे खेतों में धान के बदले तिल (कृष्णा), मक्का (अल्प अवधि संकर प्रभेद), उड़द(आई पी यू. पंत यू ) लगाना चाहिए. इसके साथ ही जिन क्षेत्रों में सिंचाई के अभाव में गेहूं की बुआई नहीं की जा सकती है. वैसे खेत में किसान  खरीफ अरहर की किस्मों में राजेन्द्र अरहर-1, नरेन्द्र अरहर- 1 आइपीए 203, 206 किसान लगा सकते हैं. इसके साथ ही  पोषक अनाजों में मंडुवा, सावा, कोदो, चीना, बाजरा के उन्नतशील प्रभेदों की बुआई अगस्त के प्रथम सप्ताह तक कर सकते हैं.

पानी के अभाव में सूख रही धान की फसल. फाइल फोटो -किसान तक
पानी के अभाव में सूख रही धान की फसल. फाइल फोटो -किसान तक

सरकार आकस्मिक फसलों की खेती पर दे रही जोर

राज्य में धान की खेती सही तरीके से नहीं हो पाती है. तो सरकार आकस्मिक फसल योजना के तहत 15 तरह के विभिन्न फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करेगी. इसके तहत अल्पावधि धान, संकर मक्का, अरहर, उड़द, तोरिया, सरसों, भिंडी, मूली, कुल्थी, मडुआ, सावा, कोदो, ज्वार, तथा बरसीम के कुल 41 हजार 264 क्विंटल बीज की व्यवस्था की है. जो किसानों को निःशुल्क दिया जाएगा. 


POST A COMMENT