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Basmati Rice Export: व‍िश्व बाजार में बढ़ी बासमती चावल की मांग, न‍िर्यात में इस साल भी उछाल

Basmati Rice Export: व‍िश्व बाजार में बढ़ी बासमती चावल की मांग, न‍िर्यात में इस साल भी उछाल

साल 2021-22 और 2023-24 की अप्रैल-अगस्त अवधि के बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चावल के व्यापार में 71 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई है. बासमती चावल का निर्यात बढ़ रहा है, और बढ़ती मांग के कारण व्यापार‍ियों और क‍िसानों को उसका फायदा म‍िल रहा है.  

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भारत बासमती चावल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है (Photo-Kisan Tak).  भारत बासमती चावल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है (Photo-Kisan Tak).

बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग के कारण बासमती चावल का निर्यात लगातार तीसरे साल बढ़ रहा है. वैश्विक बाजारों में लंबे दाने वाली प्रीमियम बासमती किस्मों की बढ़ती कीमतों से व्यापारियों और किसानों को पर्याप्त मुनाफा हुआ है. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा उपलब्ध कराए गए निर्यात आंकड़े भारत के बासमती चावल के विकास पथ को रेखांकित कर रहे हैं, जिसमें साल दर साल निर्यात और व्यापार में लगातार वृद्धि हो रही है. साल 2021-22 और 2023-24 की अप्रैल-अगस्त अवधि के बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चावल के व्यापार में 71 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई है. इस अवध‍ि में चालू वित्त वर्ष में बासमती का निर्यात 18,310.35 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. 

देश से 20.10 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) निर्यात हुआ है. इसकी तुलना में, 2022-23 की इसी अवधि में 18.75 एलएमटी की शिपिंग के साथ 15,452.44 करोड़ रुपये का बासमती चावल निर्यात हुआ. इसी तरह, 2021-22 में, भारत ने 17.02 लाख मीट्र‍िक टन बासमती चावल का निर्यात किया, जिससे 10,690.03 करोड़ रुपये की आय हुई. गेहूं, गैर-बासमती चावल और चीनी निर्यात पर सरकार के प्रतिबंधों के कारण भारत के कृषि निर्यात में व्यापक गिरावट के बावजूद बासमती के निर्यात में वृद्धि हुई है. 

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एक्सपोर्ट में पर्याप्त वृद्ध‍ि का अनुमान

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने वैश्विक चावल उत्पादन के लिए आशावादी दृष्टिकोण की रिपोर्ट दी है, जिसके 54.225 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है, जिसका मुख्य कारण भारत और ब्राजील दोनों में बेहतर पैदावार है. एसोस‍िएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया कहते हैं: “बासमती चावल का निर्यात बढ़ रहा है, और बढ़ती मांग के कारण व्यापारी अत्यधिक सक्रिय हैं. हम इस वर्ष पर्याप्त वृद्धि की आशा करते हैं, जो मध्य पूर्वी देशों से ऑर्डरों में वृद्धि से रेखांकित होता है.

बासमती धान के दाम में क्यों आया उछाल 

हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख बासमती उत्पादक राज्यों में चल रही धान की फसल बासमती उत्पादकों के लिए विशेष रूप से आकर्षक रही है. पारंपरिक बासमती की कीमतें 6,000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक हैं. जबक‍ि पूसा 1121, 1718 और मूछल जैसी अन्य प्रीमियम किस्मों को 4,500 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास दाम मिल रहे हैं. 23 अक्टूबर को लंबे अनाज वाले बासमती चावल के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को 1,200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद देश के उत्तरी हिस्सों के अनाज बाजारों में बासमती धान की कीमतों में अचानक उछाल आया. 

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में बासमती चावल की औसत निर्यात कीमतों में पिछले एक साल में अचानक वृद्धि देखी गई है. क्योंकि यह 2021 और 2022 में 850-900 डॉलर प्रति टन के मुकाबले लगभग 1,050 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है. लेकिन, निर्यात में बढ़ोतरी से इसे प्रभावित होने की संभावना है. घरेलू बाजार में भी बासमती चावल की कीमतें बढ़ने से व्यापारियों का ध्यान निर्यात पर है.