![भारत सालाना लगभग 65 लाख टन टन बासमती का उत्पादन करता है. भारत सालाना लगभग 65 लाख टन टन बासमती का उत्पादन करता है.](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/ktak/images/story/202405/6655bedd7b01f-basmati-rice-export-prices-282411916-16x9.jpg?size=948:533)
बासमती चावल की घरेलू कीमतों में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है. जबकि, निर्यात के लिए लागू होने वाली न्यूनतम निर्या मूल्य भी न्यूनतम स्तर से नीचे खिसक गया है. ऐसी स्थिति विदेशी खरीदारों के पाकिस्तान से बासमती चावल खरीद लेने और अपना स्टॉक फुल करने के चलते बनी है. इन स्थितियों के चलते घरेलू थोक कीमतों में 15 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है. मौजूदा हालातों के मद्देनजर निर्यातकों को संभावित नुकसान से बचाने के लिए पंजाब चावल निर्यातक संघ ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद विकास प्राधिकरण (APEDA) को पत्र लिखा है.
वैश्विक खरीदारों के दूरी बनाने से बासमती चावल की निर्यात कीमतें सरकारी न्यूनतम स्तर से नीचे गिर गईं. रिपोर्ट के अनुसार बासमती चावल का निर्यात मूल्य सरकार की ओर तय न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) 950 डॉलर प्रति टन से काफी नीचे गिरकर 800-850 डॉलर प्रति टन हो गया है. कम कीमतों के बावजूद वैश्विक खरीदार दूरी बनाए हुए हैं. इस स्थिति के चलते निर्यात उठान नहीं हो पा रहा है.
बासमती चावल का निर्यात उठान कम होने से घरेलू कीमतें भी 75 रुपये प्रति किलोग्राम से गिरकर 65 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई हैं. निर्यातकों ने कहा कि आयात करने वाले देशों ने सरकार द्वारा पिछले अगस्त में एमईपी को बढ़ाकर 1200 डॉलर प्रति टन करने और फिर अक्टूबर में इसे घटाकर 950 डॉलर प्रति टन करने से पैदा हुई अनिश्चितता के बाद जल्दबाजी में भारत से अच्छी मात्रा में बासमती चावल खरीदा था. जबकि, बाद में विदेशी खरीदारों ने पाकिस्तान से चावल की खरीद कर ली.
निर्यातकों को संभावित नुकसान को देखते हुए पंजाब चावल निर्यातक संघ ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद विकास प्राधिकरण (APEDA) को पत्र लिखा है. बता दें कि एपीडा बासमती निर्यात कॉन्ट्रैक्ट का रजिस्ट्रेशन जारी करने वाली नोडल एजेंसी है. ट्रेडर्स ने कहा कि यदि सरकार न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी एमईपी के साथ कुछ नहीं करती है तो बासमती व्यापार को नुकसान होगा और वैश्विक बाजार में हमारा मुख्य प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान हम पर बढ़त बनाए रखेगा. घरेलू बाजार में चावल की कीमतें पहले ही 10-15 फीसदी तक गिर चुकी हैं और आगे भी गिर सकती हैं.
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन के अनुसार बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी एमईपी लगाने से पैदा हुई अनिश्चितता के कारण विदेशी खरीदारों ने बासमती चावल का बड़ा स्टॉक बना लिया है. इस डर से कि सरकार बासमती चावल का निर्यात भी बंद कर सकती है. जबकि, एमईपी में बढ़ोत्तरी के चलते विदेशी खरीदारों ने बासमती उत्पादक पाकिस्तान से भारी खरीदारी कर ली है.
भारत में बासमती चावल का ज्यादा की ज्यादा खपत नहीं है. इसे मुख्य रूप से विदेशी बाजारों के लिए निर्यात किया जाता है. आम तौर पर भारत सालाना लगभग 65 लाख टन टन बासमती का उत्पादन करता है. इसमें से लगभग 50 लाख टन चावल का निर्यात किया जाता है. बाकी 5 लाख टन की खपत घरेलू स्तर पर की जाती है और बाकी 10 लाख टन के करीब आगे के लिए स्टॉक करके रखा जाता है.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today