Banana Farming: यूपी में केला उत्पादन 70 फीसदी बढ़ा, किसानों को दाम दिलाने के लिए ठोस योजना की दरकार

Banana Farming: यूपी में केला उत्पादन 70 फीसदी बढ़ा, किसानों को दाम दिलाने के लिए ठोस योजना की दरकार

केले की खेती और उत्पदान में तेजी से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, लेकिन देश के अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में प्रबंधन की खामियों के चलते किसानों को केले का कम दाम मिल रहा है. किसानों का मानना है कि अगर मार्केटिंग व्यवस्था और सप्लाई चेन को सुधारकर निर्यात किया जाए तो उनकी आय में 25 फीसदी तक की वृद्धि की जा सकती है.

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Banana Farming: यूपी में केला उत्पादन 70 फीसदी बढ़ा, किसानों को दाम दिलाने के लिए ठोस योजना की दरकार यूपी में केले का बढ़ रहा है उत्पादन और क्षेत्रफल

उत्तर प्रदेश में पिछले 7 से 8 सालों में केले का उत्पादन 70 फीसदी बढ़ा है, लेकिन देश के अन्य राज्यों की तुलना में प्रबंधन की खामियों के कारण यहां के किसानों को केले के लिए कम दाम मिल रहे हैं. किसानों का मानना है कि अगर मार्केटिंग व्यवस्था और सप्लाई चेन को सुधारकर उत्तर प्रदेश के केले का निर्यात किया जाए, तो उनकी आय में 25 फीसदी तक की वृद्धि की जा सकती है. प्रगतिशील किसान और पद्मश्री से सम्मानित बाराबंकी के केला के किसान रामसरन वर्मा ने किसान तक से बताया कि उनके सर्वे के अनुसार, उत्तर प्रदेश में लगभग 1.50 लाख हेक्टेयर में केले की खेती की जा रही है. अकेले लखीमपुर में ही 25 हजार हेक्टेयर में केले की खेती हो रही है.

किसान रामसरन वर्मा बताते हैं कि किसान प्रति एकड़ 2 से 3 लाख रुपये की आय प्राप्त कर रहे हैं, जिससे धान और गेहूं की तुलना में केले की खेती अधिक लाभदायक साबित हो रही है. लखीमपुर, बाराबंकी, सीतापुर, बहराइच, फैजाबाद,बस्ती, कुशीनगर और प्रयागराज के किसान  केले की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं.मगर कमजोर विपणन व्यवस्था के कारण किसानों लाभ नही मिल रहा है, उन्होंने कहा कि आज के समय में किसानों को बेहतर क्ववालिटी के कच्चे केले की कीमत  20 से 21  किलों ही मिल रहा है उन्होंने सूझाव दिया कि केला का उच्च क्ववालिटी के पौध  और केले की कटाई के बाद केले की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के इंतजाम किए जाएं, तो केला के किसानों केलाभ को बढ़ाया जा सकता है.

ताजे फलों में केले की देश और विदेश में बढ़ती मांग को देखते हुए उत्तर प्रदेश के किसानों ने पूर्वांचल के धान उगाने वाले क्षेत्रों में केले की खेती को अपनाकर बेहतर आय प्राप्त कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश उद्यान विभाग के अनुसार, वर्ष 2014-15 में राज्य में केले का उत्पादन 19,898 टन था, जो बढ़कर 2021-22 में 33,910 टन हो गया है.इस तरह पिछले 7 से 8 सालों में केले का उत्पादन 70 फीसदी बढ़ा है. एपीडा के अनुसार, देश में कुल केले का उत्पादन 2021-22 में 3.25 करोड़ टन हुआ था, इसमें उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से अधिक है.

किसानों को केला का कम दाम मिलने की वजह 

राम सरन वर्मा का कहना है कि जी-9 किस्म के 7 से 8 इंच लंबे केले की ग्लोबल मार्केट और मेट्रो सिटीज में ज्यादा मांग है और इस साइज के केले को बेहतर दाम मिलते हैं. छोटे आकार के केले कम दाम पर बिकते हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को बेहतर क्ववालिटी के पौध की नही मिल पाती है जिसके  वजह से किसानों के केले की फसल से फल की साइज छोटी मिलती है उन्होंने कहा कि अगर किसानोे को बेहतर क्ववालिटी के पौध उपलब्ध कराया जाय तो केले की फल साइज अच्छी मिलेगी और इससे बेहतर लाभ मिल सकता है. दूसरी ओर  केले की मार्केटिग की सही व्यवस्था और  निर्यात को बढ़ाने के लिए कूलिंग चेंबर, कूलिंग वैन और राइपनिंग चेंबर की व्यवस्था की जाए केले की उपज का किसानों को बेहतर दाम मिलेगे,उन्होेने कहा कि इस व्यवस्था के वजह से  8 से 10 दिन केले को सुऱक्षित रखा जा सकता है और गल्फ  देशों सहित दूसरे देशों  में निर्यात किया जा सकता है . उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की तुलना में उत्तर प्रदेश के किसानों को 5से 10 रुपये प्रति किलो का नुकसान हो रहा है क्योकि केले के निर्यात व्यवस्था नही है, अगर  सरकार इस दिशा में कदम उठाए,तो उत्तर प्रदेश के किसानों की आय और बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के किसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ अन्य राज्यों को भी केले की बड़ी सप्लाई कर रहे हैं, लेकिन गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ की कमी के कारण दूसरे राज्यों की तुलना में राज्य के किसानों को कम मुनाफा हो रहा है.

बाराबंकी के प्रगतिशील किसान मोइनुद्दीन, जो पहले बड़े पैमाने पर फूल और केले की खेती करते थे, उन्होंने  किसान तक से कहा कि निर्यात के लिए ठोस योजना न होने के कारण केले की खेती छोड़ दी. उन्होंने कहा कि अगर  निर्यात के लिए कूलिंग और राइपनिंग चेंबर स्थापित किए जाएं और केले के क्लस्टर बनाया जाएं और ठोस योजना बनाई जाए,और तो किसानों की आय बढ़ सकती है. सरकार ने 2022 में केले के निर्यात के लिए प्रयास किए थे, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण जमीनी स्तर पर कार्य नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि धान और गेहूं की तुलना में केले की खेती से तराई क्षेत्र के किसानों को अधिक लाभ हो रहा है, लेकिन इसके लिए और सरकारी प्रयासों की जरूरी है.

उद्यान विभाग को सक्रिय होने की जरूरत

केला किसानों का कहना है लंबी दूरी के बाजारों और उच्च लागत वाली वाणिज्यिक गतिविधियों की शुरुआत में कई बाधाएं हैं . उद्यान विभाग को सक्रिय होने की जरूरत है. किसानों का मानना है कि उत्तर प्रदेश के उद्यान विभाग को आगे आकर किसानों के लिए योजना बनानी चाहिए. बाहर के व्यापारियों को आकर्षित करने के लिए केले की खेती और उत्पादन का देश-विदेश में प्रचार करने की जरूरत है. किसानों ने कहा कि उद्यान विभाग की उदासीनता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के फल सब्जी के  उत्पादन और क्षेत्रफल के आंकड़े साल  2015-16 के तक ही उद्यान विभाग की वेबसाइट पर अपडेट हैं, जबकि आज के डिजिटल युग में व्यापारी वेबसाइटों के जरिए ही उत्पादन और क्षेत्रफल का आंकलन करते हैं,और उस राज्य में व्यापारी आते है.वही किसानों का कहना था कि केला किसानों को  ग्लोबल मार्केट में बेहतर दाम दिलाने के लिए केले की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ को बढ़ाने की दिशा में काम करने की जरूरत है.केले की मार्केट सप्लाई चैन स्थापित करने के लिए उद्यान विभाग की तरफ से काम किया जाना चाहिए. इससे उत्तर प्रदेश के केला के किसानों को बेहतर दाम मिल सके और आय में बढ़ोतरी हो सके.

सबसे बड़े केला उत्पादक पर निर्यात हिस्सेदारी कम 

दुनिया का सबसे बड़ा केला उत्पादक होने के बावजूद भारत की निर्यात हिस्सेदारी सिर्फ एक फीसदी है.वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 176 मिलियन अमेरिकी डॉलर के केले निर्यात किए है. अगर निर्यात पर प्रभावी कार्य किया जाए, तो भारत केले के निर्यात में और भी सक्षम हो सकता है. इससे  देश मेे 25,000 से अधिक किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है और आपूर्ति श्रृंखला में 10,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिल सकता है.केले का निर्यात भारतीय केले के प्रमुख निर्यात देशो में ईरान, इराक, यूएई, ओमान, उज्बेकिस्तान, सऊदी अरब, नेपाल, कतर, कुवैत, बहरीन, अफगानिस्तान और मालदीव शामिल हैं. एपिडा के अनुसार अमेरिका, रूस, जापान, जर्मनी, चीन, नीदरलैंड, यूके और फ्रांस जैसे देशों में निर्यात की संभावनाएं काफी अधिक हैं. एपिडा ने अनुमान लगाया कि  2024 में  भारत का निर्यात 303 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो जाएगा.

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