Bajra Procurement: ओपन मार्केट में क्यों एमएसपी से कम दाम पर बाजरा बेचने को मजबूर हैं क‍िसान?

Bajra Procurement: ओपन मार्केट में क्यों एमएसपी से कम दाम पर बाजरा बेचने को मजबूर हैं क‍िसान?

भारतीय क‍िसान यून‍ियन (चढूनी) ने हर‍ियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर को पत्र ल‍िखकर बाजरे की सरकारी खरीद 15 सितंबर से शुरू करवाने की मांग की है. क्योंक‍ि फसल पक कर तैयार है. महेंद्रगढ़, झज्जर व रेवाड़ी की मंडियों में आवक भी शुरू हो गई है. 

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Bajra Procurement: ओपन मार्केट में क्यों एमएसपी से कम दाम पर बाजरा बेचने को मजबूर हैं क‍िसान?क‍िसानों को कब म‍िलेगा बाजरा का सही दाम (Photo-Ministry of Agriculture)_

भारतीय क‍िसान यून‍ियन (चढूनी) ने बाजरा की खरीद को लेकर हर‍ियाणा सरकार पर सवाल उठाए हैं. यून‍ियन ने कहा है क‍ि मंडियो में बाजरे की फसल आनी शुरू हो गई, जोकि खुले बाजार (प्राइवेट खरीद) में लगभग 1500 से 1600 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक के ही भाव पर ब‍िक रही है. जबक‍ि खरीफ मार्केट‍िंग 2023-24 के ल‍िए सरकार ने बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2500 रुपये प्रति क्व‍िंटल तय क‍िया है. क‍िसानों को प्रत‍ि क्विंटल 1000 रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंक‍ि अभी तक सरकार ने बाजरा की सरकारी खरीद के इंतजाम नहीं किए हैं. यून‍ियन ने इस बारे में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को एक पत्र ल‍िखकर बाजरा की खरीद जल्दी शुरू करवाने की अपील की है, ताक‍ि क‍िसानों को नुकसान न हो.

यून‍ियन के अध्यक्ष गुरुनाम स‍िंह चढूनी ने सीएम को भेजे गए पत्र के बारे में बाजरे की सरकारी खरीद 15 सितंबर से शुरू करवाने की मांग की है. उन्होंने कहा क‍ि प्रदेश में बाजरे की फसल पक कर तैयार है. महेंद्रगढ़, झज्जर व रेवाड़ी की मंडियों में बाजरे की फसल आनी भी शुरू हो गई है. ऐसे में अगर सरकारी खरीद नहीं होगी तो व्यापारी क‍िसानों की मजबूरी का फायदा उठाएंगे और दाम बहुत कम देंगे. आरोप है क‍ि अब तक मंड‍ियों में बाजरा की सरकारी खरीद के इंतजाम नहीं हुए हैं. सीएम को ल‍िखे गए पत्र की कॉपी राज्य के खाद्य आपूर्त‍ि और कृष‍ि न‍िदेशक को भी भेजी गई है.  

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दो सप्ताह के अंदर शुरू हो बाजरे की खरीद

चढूनी ने कहा क‍ि मंडियों में बाजरे की फसल की आवक को देखते हुए इसकी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद अगले 15 द‍िन में शुरू की जाए. हर‍ियाणा प्रमुख बाजरा उत्पादक है. बाजरा का मोटे अनाजों में अहम स्थान है. मोटे अनाजों को लेकर देश में इन द‍िनों काफी चर्चा हो रही है. इसे लोगों की थाली तक पहुंचाने की कोश‍िश की जा रही है लेक‍िन अगर क‍िसान एमएसपी से कम दाम पर इसे बेचने के ल‍िए मजबूर होंगे तो फ‍िर म‍िलेट ईयर का उन्हें क्या फायदा होगा. क‍िसानों को फायदा तो तब म‍िलेगा जब उनकी फसल की पूरी खरीद होगी. 

क‍िन ज‍िलों में बोया गया है बाजरा

बाजरे की फसल मुख्य तौर पर हर‍ियाणा के 13 जिलों में बोई गई है. इनमें ज‍िसमें महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, रेवाड़ी, भिवानी, झज्जर, पलवल, गुरुग्राम, मेवात, रोहतक, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा और जींद शाम‍िल हैं. राज्य में इस साल 11,89,214 एकड़ क्षेत्र में इसकी बुवाई हुई है. हालांक‍ि अमेरिकन सुंडी के अटैक की वजह से तीन लाख एकड़ से अध‍िक क्षेत्र में फसल खराब हो चुकी है. ऐसे में अगर अब सरकार खरीद भी समय पर नहीं करेगी तो क‍िसानों को और नुकसान होगा. 

सरकारी खरीद शुरू हो जाएगी तो ओपन मार्केट में भी अच्छा दाम म‍िलने का एक दबाव बना रहेगा. हर‍ियाणा सरकार पूरा बाजरा एमएसपी पर नहीं खरीदती. इसल‍िए उसे भावांतर भरपाई योजना में शाम‍िल कर द‍िया है. ऐसे में सवाल यह है क‍ि कहीं सूरजमुखी की खरीद की तरह ही बाजरा को भी लेकर क‍िसानों और सरकार में टकराव तो नहीं होगा.  

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