AIKCC ने किसानों के लिए केन्द्र सरकार से की ये 4 बड़ी मांग, पढ़ें डिटेल

AIKCC ने किसानों के लिए केन्द्र सरकार से की ये 4 बड़ी मांग, पढ़ें डिटेल

केन्द्र सरकार राज्यों से राय लेकर खेती-किसानी से जुड़े कानून और पॉलिसी बनाएगी तो वो ऊपर से थोपे हुए कानून नहीं लगेंगे. क्योंकि राज्य सरकार अपने राज्य के किसानों और एक्सपर्ट से बातचीत करने के बाद ही अपनी सिफारिशें केन्द्र को भेजेगी. वहीं किसी भी कानून और पॉलिसी में राज्यों की राय होगी तो उसके विरोध की संभावना कम ही होगी. 

Advertisement
AIKCC ने किसानों के लिए केन्द्र सरकार से की ये 4 बड़ी मांग, पढ़ें डिटेलAIKCC ने केन्द्र सरकार से किसानों के हित में चार बड़ी मांग की हैं.

किसानों के हित को देखते हुए जरूरी है कि एग्रीकल्चर पॉलिसी बनाई जाएं. एक राज्य की फसल दूसरे राज्य में बेचने की अनुमति दी जाए. एग्रीकल्चर और उससे जुड़े कॉमर्स के मामलों में राज्यों की राय शुमारी भी शामिल की जाए. एक्सपोर्ट पॉलिसी ऐसी बने जो कम से कम चार-पांच साल तो चले, ऐसी ना हो कि आज पॉलिस बनाई और 15 दिन बाद वापस ले ली. ये कहना है ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह मान का. 

दिल्ली में नेशनल फार्मर टेक्नोलॉजी डे के मौके पर एक चिंतन शि‍विर का आयोजन किया जा रहा है. इस शि‍विर में 18 राज्यों के किसान नेता हिस्सा ले रहे हैं. इस शि‍विर के मौके पर भूपेन्द्र मान एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधि‍त कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने किसानों की हालत को सुधारने के लिए केन्द्र सरकार से चार बड़ी मांग की हैं.  

ये भी पढ़ें- Animal Production: बढ़ेगी किसानों की इनकम, पशुपालन में 9 काम पर खर्च होंगे 17 सौ करोड़

किसान की उपज के दाम पर पड़ता है असर 

भूपेन्द्र मान का कहना है कि जिस तरह से खेती किसानी से जुड़ी कमोडिटी के एक्सपोर्ट पर केन्द्र सरकार फैसला लेती है उससे किसानों की उपज के दाम प्रभावित होते हैं. जब फसल ज्यादा होती है तो केन्द्र सरकार एक्सपोर्ट को बैन कर देती है. जैसे प्याज के मामले पर सरकार ने फैसला लिया था. इसका असर सिर्फ प्यास पर ही नहीं, अंगूर और संतरे पर भी पड़ा था. क्योंकि कई देश ने प्याज ना मिलने पर अंगूर और संतरा भी नहीं खरीदा था. 

ये भी पढ़ें: 25 पॉइंट में समझें खुरपका-मुंहपका (FMD) से जुड़ी सभी बातें, हो रहा है ये बड़ा काम 

किसी भी राज्य में फसल बेचने की मिले आजादी

एआईकेसीसी के जनरल सेक्रेटरी गुनावत पाटिल ने केन्द्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि डॉ. शरद जोशी की खेती-किसानी से जुड़ी सिफारिशों को लागू किया जाए. शरद जोशी की स्मृति में उनके जनम दिवस को नेशनल फार्मर टेक्नोलॉजी डे के रूप में मनाया जाए. वहीं उनका ये भी कहना है कि देश में जब हर एक नागरिक को कारोबार करने, घूमने-फिरने की आजादी है तो किसान को अपनी उपज बेचने की इजाजत क्यों नहीं है. अगर किसी को अपनी उपज का दाम दूसरे राज्य में अच्छा और लागत से ज्यादा मिल रहा है तो उसे वहां बेचने की अनुमति दी जाए. वहीं बीज समेत खेती में इस्तेमाल होने वाली अलग-अलग टेक्नोलॉजी के रिसर्च एंड डवलपमेंट में राज्यों को भी शामिल किया जाए. 
 

 

POST A COMMENT