Drone In Agriculture: यूपी के इस जिले में पहली बार 'ड्रोन' से हुई बीज की रोपाई, जानें फायदे

Drone In Agriculture: यूपी के इस जिले में पहली बार 'ड्रोन' से हुई बीज की रोपाई, जानें फायदे

वन मंत्री ने बताया कि ड्रोन सीडिंग का कार्य उन वन क्षेत्रों में किया जाता है, जहां मानव एवं अन्य संसाधनों से बीज बुवान कठिन है. इस तकनीक से सीड बॉल को क्षेत्र में भेजा जाता है.

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Drone In Agriculture: यूपी के इस जिले में पहली बार 'ड्रोन' से हुई बीज की रोपाई, जानें फायदेआगरा के डीएफओ आदर्श कुमार ने बताया कि ड्रोन सीडिंग के माध्यम से जिले के दुर्गम क्षेत्रों में बीजा रोपण किया जा रहा है.

Drone In Agriculture: देश में किसान उन्नत तरीके से खती कर रहे हैं. योगी सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने की हर संभव कोशिश करती हैं. खेती में ड्रोन ऐसी ही तकनीक है, जिसने खेती करने के तौर तरीकों को ही बड़े लेवल पर बदल दिया है. इसी कड़ी में यूपी के आगरा और फिरोजाबाद जिलों में पहली बार ड्रोन सीडिंग का प्रयोग हुआ है. दरअसल, बरसात में वन क्षेत्रों में जहां पहुंचना संभव नहीं है, वहां ड्रोन सीडिंग के जरिए पौधे उगाए जाएंगे. प्रदेश के वन राज्य मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि उन दुर्गम इलाकों में भी इस बार हरियाली के प्रयास किए जा रहे हैं, जहां पर बीज बोना या पौधे रोपना मुश्किल होता है.

इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक ड्रोन सीडिंग से फिरोजाबाद में यमुना की तलहटी में बीहड़ क्षेत्र में सीड बॉल का छिड़काव किया गया, ताकि इस क्षेत्र में भी पौधे उग सकें. फिरोजाबाद जलालपुर वन ब्लॉक पांच हेक्टेयर बीहड़ क्षेत्र में ड्रोन के माध्यम से बीज बुवान कार्य किया गया. ड्रोन ने सीडिंग बॉल को जगह-जगह पर छोड़ा गया है. इसी क्रम में आगरा के फतेहाबाद स्थित धौर्रा वन ब्लाक में ड्रोन की तकनीक के जरिए 5 हेक्टेयर में बीजारोपण किया गया है.

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वन मंत्री ने बताया कि ड्रोन सीडिंग का कार्य उन वन क्षेत्रों में किया जाता है, जहां मानव एवं अन्य संसाधनों से बीज बुवान कठिन है. इस तकनीक से सीड बॉल को क्षेत्र में भेजा जाता है. इस सीड बॉल में पांच से छह प्रजाति के बीज होते हैं. इस तकनीक से बीज के बर्बाद होने की संभावना न के बराबर होती है.

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अपर मुख्य सचिव वन मनोज कुमार सिंह ने बताया कि ड्रोन सीडिंग के माध्यम से जिले के दुर्गम क्षेत्रों में बीजा रोपण किया जा रहा है. इसमें मिट्टी और गोबर को मिलाकर छोटी-छोटी गेंद का स्वरूप दिया जाता है. इसमें स्थानीया एवं बीहड़ क्षेत्रों के लिए उपयुक्त प्रजाति जैसे नीम, शीशम, चिलबिल, अरु, छयोंकर, बांस, सहित फलदार पौधे जैसे जामुन, शरीफा, और महुआ के 10 से 12 बीच अंदर होते है. उन्होंने बताया कि ड्रोन के जरिए इन सीड बॉल्स को वन क्षेत्रों में डाल दिया जाता है. ये बारिश की नमी पाकर अंकुरित होती हैं.

दरअसल, इससे पहले ड्रोन मुख्य रूप से वीडियो बनाने के लिए इस्तेमाल होता था. इसके अलावा भी ड्रोन का इस्तेमाल कई कामों के लिए किया जाता है. आज के समय में ड्रोन का काफी इस्तेमाल खेती-बाड़ी के लिए भी हो रहा है. ड्रोन के मदद से किसान अपने खेतों में पेस्टिसाइड्स का छिड़काव कर रहे हैं. 

 

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