छत्तीसगढ़ ने खरीफ विपणन सत्र 2023-24 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान खरीद के निर्धारित लक्ष्य को पार कर लिया है. राज्य में 130000 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले, अब तक किसानों से 140000 लाख टन से अधिक धान खरीदा गया है. दिलचस्प बात यह है कि लक्ष्य को 31 जनवरी को समाप्त हुई समय सीमा से दो दिन पहले ही हासिल कर लिया गया.
जब कांग्रेस सत्ता में थी तब धान खरीदी एक नवंबर से शुरू हुई थी. कैलेंडर के अनुसार, धान खरीद प्रक्रिया 31 जनवरी को समाप्त होने वाली थी. इस बीच, राज्य में विष्णु देव साई के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी जिसने इस प्रक्रिया को तेज कर दिया. खरीदी शुरू होने के करीब 40 दिन बाद 10 दिसंबर तक केवल 31 लाख टन धान ही खरीदी के लिए बनाई गई सोसायटियों तक पहुंचा. धान खरीद के लिए नोडल एजेंसी, राज्य संचालित छत्तीसगढ़ मार्केटिंग फेडरेशन (मार्कफेड) के प्रवक्ता ने कहा कि 31 जनवरी तक 20 लाख से अधिक किसानों से एमएसपी पर 140000 लाख टन से अधिक धान खरीदा गया.
वहीं, बैंक के माध्यम से किसानों को 30,068 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है. मुख्यमंत्री ने समय सीमा 4 फरवरी तक बढ़ा दी थी. महासंघ के अधिकारियों ने कहा कि विस्तार आवश्यक था, क्योंकि बड़ी संख्या में किसान निर्धारित समय के भीतर उपज नहीं बेच सके. केंद्रों पर धान की आवक में तेजी 21 दिसंबर के बाद आई, जब राज्य ने 3100 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत पर धान खरीदने की अधिसूचना जारी की. विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने छत्तीसगढ़ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी के तहत ऊंची कीमत की घोषणा की थी.
इसके अलावा, इसने खरीद सीमा को बढ़ाकर 21 क्विंटल प्रति एकड़ कर दिया, जिसे पिछली कांग्रेस सरकार ने घटाकर 15 क्विंटल प्रति एकड़ कर दिया था. भंडारण की समस्या के समाधान के लिए फेडरेशन कस्टम मिलिंग के लिए धान के निरंतर उठाव पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. अब तक एक लाख टन धान के उठाव के लिए डिलिवरी ऑर्डर जारी किये गये हैं, जिसके विरूद्ध मिलर्स द्वारा 90 लाख टन से अधिक का उठाव किया जा चुका है.
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