अधिक बारिश की वजह से सिर्फ गेहूं की फसल ही प्रभावित नहीं हुई है, बल्कि रबर उत्पादन के ऊपर भी असर पड़ा है. केरल में लगातार बारिश के चलते पिछले साल के मुकाबले इस बार प्राकृतिक रबर के उत्पादन में 5 से 10 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि किसानों की उम्मीद है कि अगर मौसम ने साथ दिया, तो दिसंबर से शुरू होने वाले फसल सीजन में उत्पादन में आई गिरावट की भरपाई हो जाएगी. इंडियन रबर डीलर्स फेडरेशन के अध्यक्ष जॉर्ज वैली का कहना है कि सितंबर-नवंबर के दौरान भारी बारिश के चलते रबर के पेड़ों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा. यहां तक कि रेन-गार्ड वाले पेड़ों को भी बारिश ने प्रभावित किया.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त महीने में प्राकृतिक रबर का अच्छा उत्पादन हुआ था, लेकिन बाद के महीनों में बारिश के कारण उत्पादन प्रभावित हो गया. जॉर्ज वैली ने कहा कि आरएसएस IV ग्रेड के लिए कीमतें 153-154 रुपये प्रति किलो हैं. हालांकि, इसके बावजूद टायर बनाने वाली कंपनियां घरेलू बाजार से उपलब्ध सामग्री खरीद रही हैं.
जॉर्ज वैली के अनुसार, केरल में प्राकृतिक रबर की मौजूदा दरें किसानों के हित में नहीं हैं. उत्पादन लागत के मुकाबले कीमत कम होने के चलते किसानों को प्राकृतिक रबर का उचित रेट नहीं मिल पा रहा है. वहीं, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कम मजदूरी और शून्य भूमि मूल्य के कारण दरें कम हैं. वहीं, ट्रेडिंग वॉल्यूम में भी 10-12 फीसदी की गिरावट आई है. इसके अलावा, बढ़ती लागत और कप लंप उत्पादन के कारण बाजार में शीट बनाने की बजाय लेटेक्स की ओर बदलाव देखा जा रहा है. टायर कंपनियों की बढ़ती मांग के चलते भारत में ब्लॉक रबर का उत्पादन बढ़ रहा है.
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जॉर्ज वैली ने कहा कि पिछले साल प्राकृतिक रबर का उत्पादन 8.53 लाख टन था और इस साल अधिक बारिश की वजह से 8.5 से 9 लाख टन होने की संभावना है. हैरिसन मलयालम लिमिटेड (आरपीएसजी) के कार्यकारी निदेशक संतोष कुमार ने कहा कि रबर उत्पादक क्षेत्रों में इस साल बारिश के पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है. कई हिस्सों में प्री-मानसून बारिश के अभाव में लंबे समय तक शुष्क स्थिति का सामना करना पड़ा है. इसके कारण दोहन फिर से शुरू होने में देरी हुई और फसल कम हुई.
अगस्त में काफी कम बारिश की वजह से पौधे सूखने लगे थे. हालांकि, सितंबर में अधिकांश रबर उत्पादक इलाकों में भारी बारिश हुई. शुरुआती बारिश ने सितंबर से नवंबर तक टैपिंग को बाधित कर दिया. उन्होंने कहा कि उत्पादन में गिरावट के बावजूद, कीमतों में उछाल नहीं आई है. शायद व्यापक आर्थिक स्थितियों और कम मांग के कारण ऐसा हुआ है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और रबर की कम कीमतें उत्पादकों को एक अद्वितीय गहरे संकट में धकेल रही हैं.
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