दौसा जिले के लालसोट और सवाई माधोपुर जिले के कई गांवों के लिए जैसे ही मोरेल बांध से नहरों में पानी छोड़ा गया, किसानों के चेहरे खिल उठे. वेद-मंत्रों और पूजा पाठ के बाद 22 नवंबर को मोरेल बांध की मैन और ईस्ट कैनाल की नहरों में सिंचाई के लिए पानी छोड़ा गया. अच्छी बारिश के कारण 2019 के बाद इस साल ही सबसे अधिक दिनों तक किसानों के खेतों को पानी मिलेगा. सिंचाई का पानी मिलने से किसानों को उम्मीद है कि रबी सीजन में उनकी अच्छी पैदावार होगी. इस साल भी राजस्थान के सबसे बड़े कच्चे बांधों में शुमार मोरेल बांध की नहरों से सिंचाई के लिए पानी छोड़ने की शुरूआत हो चुकी है. लालसोट में बांध की मैन और ईस्ट कैनाल की मोरी खोली गईं. रबी की सिंचाई के लिए तरस रहे किसानों को इससे काफी सुकून मिला है. छोड़े गए पानी से सवाई माधोपुर और लालसोट क्षेत्र के 83 गांवों की 78 हजार बीघा खेती की जमीन सिंचित होगी. लाखों किसानों को इससे लाभ होगा. नहरों में पानी छोड़ने के समय कृषि एवं सिंचाई विभाग के अधिकारी मौजूद थे. पक्षी विशेषज्ञों की मांग पर बांध में 8 फीट पानी रिजर्व रखने का निर्णय लिया गया है. बता दें कि मोरेल बांध एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध है. फिलहाल इसमें 24.08 फीट पानी है. सिंचाई विभाग के अनुसार मोरेल बांध सवाई माधोपुर के बामनवास, मलारना डूंगर, मलारना चौड़ और बौंली के साथ-साथ दौसा जिले के लालसोट क्षेत्र के 83 गांवों के लाखों लोगों का जीवन आधार है. नहर के माध्यम से सवाई माधोपुर जिले के गांवों में मैन कैनाल से 40 दिन और लालसोट क्षेत्र को जोड़ने वाली नहर से 30 दिन सिंचाई हो सकेगी. इस बांध के पानी से मैन और ईस्ट कैनाल के 156 किमी में पड़ने वाली मुख्य और माइनर नहरों से 83 गांवों के 26 हजार किसान परिवार लाभांवित होंगे. इसमें सवाई माधोपुर के 55 और दौसा जिले के 28 गांव शामिल हैं. इस बांध की भराव क्षमता 30.6 फीट है. बता दें कि इस बांध से 2019 में 90 दिन, 2020 में 20 दिन, 2021 में 30 दिन सिंचाई हुई थी. इस साल यानी 2022 में मैन कैनाल में 40 और ईस्ट कैनाल में 30 दिन सिंचाई होगी.
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