महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला स्थित जमखेड तालुका को सूखा प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. यहां के किसान बड़े पैमाने पर ज्वार की खेती करते हैं. चूंकि यहां की जलवायु ज्वार के लिए अनुकूल है, तालुका में बड़ी मात्रा में ज्वार की फसलें उगाई जाती हैं. अनुकूल जलवायु, स्थानीय और उन्नत किस्मों के बीज, बुवाई का मौसम, सभी यहां ज्वार के उत्कृष्ट उत्पादन में योगदान देते हैं. जामखेड तालुका में, चूंकि अधिकांश क्षेत्र शुष्क भूमि है, इसलिए रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग बहुत कम मात्रा में किया जाता है. तो कुछ जगहों पर इसका इस्तेमाल भी नहीं किया जाता हैं. इसलिए उत्पादित बाजरा का रंग और रोटी का स्वाद कुछ अलग होता है. तालुका के कृषि अधिकारी ने बताया कि इसलिए जमखेड़ के ज्वार की अच्छी मांग रहती है. विशेष ये है कि यहां की ज्वार सफेद रंग की होती है और खाने में स्वादिष्ट होती है, इसलिए शहरी क्षेत्रों में इस ज्वार की भारी मांग रहती है.
जमखेड़ तालुका में किसान ज्वार की जूट, बेदरे, दगड़ी की स्थानीय किस्मों के अलावा, मालदंडी, रेवती, वसुधा जैसी उन्नत किस्मों को भी पसंद करते हैं. हर साल किसान शहरों में बड़ी मात्रा में ज्वार बेचने की कोशिश करते हैं. इस साल भी तालुका में 32 हजार 298 हेक्टेयर में ज्वार की बुआई हुई है और यह राज्य में सबसे ज्यादा ज्वार की बुवाई हुई है.
अहमदनगर जिले में ज्वार की बुवाई आमतौर पर रबी मौसम में गोकुलाष्टमी के बाद की जाती है. हालांकि, जामखेड़ में ज्वार की बुवाई थोड़ी देर से यानी अक्टूबर में की जाती है. ज्वार की फसल सामान्यत 120 दिनों में तैयार हो जाती है. 10 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर बुवाई के लिए पर्याप्त होता है.अधिकांश किसान ज्वार की बुआई 45x15 सेमी पर करते हैं और अपनी मिट्टी के प्रकार के अनुसार ज्वार की किस्म का चयन करते हैं. जमखेड़ तालुका के किसान बुवाई के बाद पोषक तत्वों और कीट और रोग प्रबंधन के बारे में भी जागरूक हैं. इसलिए उनकी मेहनत से अच्छी किस्म का ज्वार पैदा होता है.
ये भी पढ़ें- नासिक मंडी में एक रुपये गड्डी मिला दाम, निराश किसान ने फ्री में बांट दी एक हजार गड्डी धनिया
तालुका में फिलहाल ज्वार की कटाई ने रफ्तार पकड़ ली है और क्षेत्र के में किसान द्वारा गाये जाने वाले भालारी गाना गूंजने लगे हैं. ज्वार की कटाई के लिए आने वाले खेतिहर मजदूरों को 200 रुपये मिलते हैं और यहा के मजदूरों को रोजगार मिलता है. पुणे, मुंबई सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में बड़े मॉल में 10 किलो से 50 किलो तक के जामखेड़ ज्वार के पैक बिक्री के लिए उपलब्ध रहते हैं. यहां के किसानों को प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है. किसानों का कहना हैं कि प्रति एकड़ लागत 20 हजार तक आती है. जबकि एक एकड़ ज्वार से 40 से 50 हजार रुपये की का मुनाफा होता हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today