महाराष्ट्र में प्याज उत्पादकों की समस्या कम होते हुए नजर नहीं आ रही है. कुल मिलाकर राज्य के प्याज उत्पादक किसानों पर इन दिनों दाेहरी मार पड़ी हुई है. एक तो पहले से प्याज की गिरती कीमतों की वजह से राज्य के किसान संकट में हैं. वहीं अब प्याज की फसलों पर करपा रोग का प्रकोप देखा जा रहा है. राज्य में किसानों ने गर्मियों के प्याज की बुवाई की थी. किसानों का कहना हैं कि इस साल मौसम में बदलाव के कारण फसलों पर रोगों का अटैक बढ़ा रहा है. नासिक जिले के देओला तालुका में किसानों ने रबी सीजन में बड़ी संख्या में ग्रीष्मकालीन प्याज की रोपाई की है,लेकिन पूर्व में लगाई गई प्याज की फसल पर करपा रोग फैलने से उत्पादन में भारी कमी का डर किसानों को सता रहा है. इसके चलते किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है.
किसानों का कहना है कि महंगे बीज खरीद कर खेती की है,ऐसे में मंडियों में सिर्फ 3 से 4 रूपये प्रति किलो का भाव मिल रहा हैं. इतने कम रेट मिलने पर कैसे लागत निकाल पाएंगे. एक तरफ बाज़ारों में उपज का सही दाम नहीं पा रहा है और दूसरी तरफ बदलते मौसम से बर्बाद हो रही है. किसान दोहरी संकट की मार झेल रहे है.
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले बताते है कि नासिक जिले में लगभग 30 से 40 प्रतिशत खेती योग्य क्षेत्र में करपा रोग का संकट देखा जा रहा है. राज्य में इस साल कही बेमौसम बारिश तो कभी घने कोहरे की वजह से प्याज की फसलें अधिक प्रभवित हुई है. वहीं देओला तालुका में इस रोग से फसल चौपट हुई है. इसके चलते किसानों की लागत और भी ज्यादा बढ़ गई है. फसल को बचाने के लिए किसानों को महंगी दवाइयों का छिड़काव करना पड़ रहा हैं. राज्य में किसानों के पास अन्य फसलों का कोई विकल्प नहीं होने के कारण वो भारी मात्रा में प्याज करते हैं.दिघोले का कहना हैं की पिछले साल से प्याज का सही दाम किसानों को नहीं मिल रहा हैं. आज इस प्रकार सस्ते दामों पर प्याज़ की खरीदी होने कारण किसानों की आर्थिक गणना चरमरा गई है.
वर्तमान में राज्य के कई मंडियों में किसानों को प्याज़ का सिर्फ 200 रूपये से लेकर 600 रूपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है.वहीं सोलपुर और धुळे जिले में तो 100 रूपये प्रति क्विंटल तक दाम रहा गया है.
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