क्लाइमेट चेंज की वजह से शिमला मिर्च की फसलों पर का बढ़ रहा कीटों का प्रकोप, किसान परेशान

क्लाइमेट चेंज की वजह से शिमला मिर्च की फसलों पर का बढ़ रहा कीटों का प्रकोप, किसान परेशान

महाराष्ट्र के पालघर जिले में बदलते मौसम के कारण शिमला मिर्च की फसल पर कीटों का अटैक देखा जा रहा है. इसके चलते उत्पादन में भी गिरावट का अनुमान जताया जा रहा है.

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क्लाइमेट चेंज की वजह से शिमला मिर्च की फसलों पर का बढ़ रहा कीटों का प्रकोप, किसान परेशान शिमला मिर्च की खेती पर कीटों का अटैक

महाराष्ट्र में एक तरफ जहां किसान उपज का सही दाम नहीं मिलने से परेशान हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बदलते मौसम की मार झेल रहे हैं. राज्य में इस समय अचानक से जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है. दरअसल, जलवायु परिवर्तन की वजह से जिले में लगातार शिमला मिर्च की फसलों पर कीटों का अटैक बढ़ रहा है. इसके चलते किसान चिंतित हैं. पालघर जिले में लगभग 4 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में शिमला मिर्च की खेती की जाती है. वहीं जिले के डहाणू और तलासरी तालुका में भारी मात्रा में शिमला मिर्च का उत्पादन होता है, लेकिन इस समय शिमला मिर्च के खेती करने वाले किसान संकट में हैं.

मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण शिमला मिर्च का उत्पादन प्रभावित हुआ है. इससे पहले जिले में हरी मिर्च के पौधे पर थ्रिप्स, माइट, सफेद मक्खी कीट के प्रकोप के कारण सभी छोटे और बड़े उत्पादक प्रभावित हुए थे और इससे उत्पादन में भारी गिरावट देखी गई थी. वहीं अब शिमला मिर्च के उत्पादन में गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है- 

किसानों का क्या कहना है?

जिले के किसानों ने बताया कि पिछले दो सालों से मिर्च की फसल को थ्रिप्स नामक कीट प्रभावित कर रहा है. ऐसे में अब शिमला मिर्च कि फसलों पर भी कीटों के प्रभाव से उत्पादन में भारी गिरावट का डर सता रहा है. किसानों ने बताया कि इस कीट के कारण फसल की गुणवत्ता खराब हो जाती है. किसान ने आगे बताया कि शिमला मिर्च की एक एकड़ खेती में एक लाख रुपये तक का खर्च आता है. बढ़ते कीट प्रभाव से फसल खराब होने के कारण अब यह स्थिति है कि उन्हें लागत भी निकाल पाना मुश्किल हो रहा है. 

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किसानों ने शिमला मिर्च की फसल को उखाड़ा 

लगातार कीट प्रकोप और लागत अधिक होने के कारण कई किसानों ने मिर्च की फसल को उखाड़ दिया है.  पालघर, दहानू क्षेत्र में मिर्च की खेती चार से पांच हजार एकड़ में फैली हुई है. वहीं, किसानों ने बताया कि इससे उन्हें भारी नुकसान होने की संभावना है. वहीं किसान बागवानी करने पर जोर दे रहे हैं. जिले में धान, सीजनल फल की खेती सबसे ज्यादा की जाती है. पालघर जिले में आदिवासी किसान अधिक रहते हैं.

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