तसर किसानों के कल्याण के लिए संयुक्त रूप से काम करने के लिए केन्दी य तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रांची और सिधकोफेड SIDHCOFED, वन विभाग, रांची के बीच एमओयू किया गया. एमओयू के इस मौके पर आईएफएस संजीव कुमार, सचिव सिद्धकोफेड जय प्रकाश शर्मा और सिधको फेडरेशन के अधिकारी तसर केंद्र ईटकी पहुंचे थे. तसर अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. एन.बी. चौधरी झारखंड में तसर उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के साथ-साथ तसर रेशम उद्योग में उद्यमशीलता के अवसरों के लिए एमओयू के तौर-तरीके और समझौते के मुख्य विषय पर जोर दिया. इस अवसर पर 20 किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया जो 16 अक्टूबर 2023 से 20 अक्टूबर, 2023 तक चलेगा.
इस दौरान सिधकोफेड के अधिकारियों और प्रशिक्षण में शामिल हुए किसानों ने तसर अनुसंधान केंद्र के विभिन्न यूनिट का दौरा किया. एमओयू समारोह में "झारखंड में तसर कल्चिर को बढ़ावा देने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण" पर भी महासंघ की विजन योजना को अंतिम रूप देने के लिए विस्तार से चर्चा की गई. झारखंड में तसर उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए एमओयू के संचालन पर चर्चा करना इस बैठक का मुख्य उद्देश्य था. एमओयू के मुख्य विषय और उद्देश्य पर जोर जोर देते हुए कैंपा के सीईओ संजीव किसानों की आजीविका वृद्धि के लिए वन उपज के प्रबंधन के साथ-साथ व्यवसाय विकास के लिए इसकी भमिका पर जोर दिया. मौके पर सिद्धो-कान्हो फेडरेशन के अधिकारियों, डीएफओ, आईएफएस अधिकारियों और तसर अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों के बीच चर्चा की गई.
ये भी पढ़ेंः पराली के बेहतर प्रबंधन से 16 लाख रुपये की कमाई कर रहा पंजाब का किसान, इस साल एक करोड़ कमाने की उम्मीद
तसर अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. एन.बी. चौधरी हर संभव तकनीकी सहायता का आश्वासन दिया. झारखण्डा में तसर कल्चंर के भविष्यय के लिए एक साझा दुष्टिकोण के साथ विकास के करने के उद्देश्य से यह बैठक खत्म हुआ. डॉ. एन.बी. चौधरी झारखण्ड राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए तसर किसानों की सहभागिता के लिए उनका आभार प्रकट किया और कहा कि रेशम वस्त्र मानव की एक प्रमुख मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति में सहायक है. रेशम से हम सभी की एक अलग पहचान है. उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में रेशम उद्दोग अपनी बुलंदियों को छूते हुए इस उद्योग से जुड़े लगभग लाखों परिवारों के जीवन स्तर में उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है.
ये भी पढ़ेंः ओडिशा के खनन प्रभावित इलाकों में किसानों के लिए स्थायी आजीविका का स्त्रोत बन रहा वाडी मॉडल
निदेशक ने कहा कि सिद्धकोफेट के माध्यम से तसर की उन्नत तकनीकों को किसानों के लिए लागू करना इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य है. इसे आगे बढ़ाने के लिए हम सभी को आगे आना होगा और कार्य करना होगा, ताकि किसानों को लाभ मिल सके. निदेशक ने कहा कि पूरे विश्व के तसर रेशम किसान एवं इस उद्यम से जुड़े संगठनों का ध्यान भारत पर है.. राष्ट्रीय स्तर पर हमारे अनुसंधान कार्यों एवं शोध निष्कर्षों को मान्यता मिली है . कुछ प्रौद्योगिकियों को पेटेंट भी प्राप्त हो चुका है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today