भारत ही नहीं, विदेशों में भी खेती-बाड़ी बढ़ाने में डॉ. स्वामीनाथन ने की थी मदद, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

भारत ही नहीं, विदेशों में भी खेती-बाड़ी बढ़ाने में डॉ. स्वामीनाथन ने की थी मदद, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान का जिक्र करते हुए भारत के वरिष्ठ वैज्ञानिक और पद्मश्री वीपी सिंह ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि वर्ष 1982 में स्वामीनाथन को फिलीपींस बुलाया गया जहां पर उन्हें डायरेक्टर जेनरल का पद दिया गया.

Advertisement
भारत ही नहीं, विदेशों में भी खेती-बाड़ी बढ़ाने में डॉ. स्वामीनाथन ने की थी मदद, पढ़ें पूरी रिपोर्टवैश्विक कृषि के विकास में एमएस स्वामीनाथन की भूमिका फाइल फोटो

भारतीय कृषि में हरित क्रांति के जनक माने जाने वाले एमएस स्वामीनाथन ने सिर्फ देश ही विदेशों में भी कृषि के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. उन्होंने ना सिर्फ देश में भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र और कृषि विश्विद्यालयों के विकास में महत्वपूर्ण भमिका निभायी बल्कि चीन से लेकर फिलीपींस तक उन्होंने बेहतर कार्य किया. यह बात बेहद ही कम लोग जानते होंगे ही कि फिलीपींस स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान की स्थापना और प्रसार करने में एमएस स्वामीनाथन की भमिका सराहनीय रही है. इसके लिए वैज्ञानिकों की व्यवस्था करने से लेकर इसके फंडिंग तक की उन्होंने व्यवस्था करायी थी. 

अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान का जिक्र करते हुए भारत के वरिष्ठ वैज्ञानिक और पद्मश्री वीपी सिंह ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि वर्ष 1982 में स्वामीनाथन को फिलीपींस बुलाया गया जहां पर उन्हें डायरेक्टर जेनरल का पद दिया गया. वहां पर उन्होंने बहुत ही बेहतर कार्य किया. इस कार्यकाल का जिक्र करते हुए बताया कि महज दो तीन महीने में ही स्वामीनाथन की बुद्धिमत्ता और गुणों का ऐसा असर हुआ कि वहां से सभी वैज्ञानिक और कर्मचारी उन्हें फादर कहने लगे. उन्होंने वहां पर अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान का विकास किया. साथ ही यहां पर रिसर्च केंद्र का प्रसार किया.  

ये भी पढ़ेः MS Swaminathan: भारत में कैसे आई हर‍ित क्रांत‍ि, क्या था एमएस स्वामीनाथन का योगदान?

अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के विकास में स्वामीनाथन की भूमिका

अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान फिलीपींस में स्वामीनाथन के कार्यकाल के दौरान अमेरिका समेत अन्य देशों के बड़े कृषि वैज्ञानिक वहां पर आए और स्वामीनाथन ने उनसे सीखा. पद्मश्री वीपी सिंह ने बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने किंग ऑफ जापान और फिलीपींस की महारानी को   अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र में बुलाया. इस तरह से उन्होंने अनुसंधान केंद्र के विकास के लिए काफी सारी फंडिंग का भी इंतजाम किया, जिससे केंद्र के विकास और प्रसार के लिए काफी मदद मिली. इसके बाद उन्होंने चीन में भी चावल के विकास में महत्वपूर्ण भमिका निभाई. चीन में उन्होंने हाइब्रिड राइस रिसर्च संस्थान बनाया. 

ये भी पढ़ेंः जब देश में फैले अकाल ने स्वामीनाथन को दिखाई कुछ कर गुजरने की राह...पढ़ें उनसे जुड़ी 10 बड़ी बातें

देश के कृषि विकास में एमएस स्वामीनाथन की भूमिका

वीपी सिंह ने बताया कि  आज देश में जितने भी आज देश में आप जितने भी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्र और कृषि विश्वविद्यालय देखते हैं यह उनकी ही दूरदर्शी सोच का परिणाम है. कृषि को आगे बढ़ाने के लिए और शोध पर अधिक ध्यान देने के लिए इसका विस्तार किया गया देश के अधिक से अधिक किसानों को वैज्ञानिक पद्धति से खेती की जानकारी मिल सके. उन्होंने क्रॉप जेनेटिक्स पर खूब शोध और कार्य किया. वीपी सिंह ने उनकी बुद्धिमता का जिक्र करते हुए वीपी सिंह ने एक घटना का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि एक और महान वैज्ञानिक डॉ आत्माराम भैरव जोशी ने उनके एनवल कॉन्फीडेंस रिपोर्ट में लिखा की वो इतने गुणी है और इतने बुद्धिमान है कि उनका जन्म एक शताब्दी पहले हो गया है. उनके यही गुणों के कारण उनकी बुद्धिमता का प्रचार प्रसार देश ही नहीं विदेशों में भी हुआ. 

 

POST A COMMENT