Lac Farming: लाह की खेती में टॉप राज्य है झारखंड, इन आसान तरीकों से अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं किसान

Lac Farming: लाह की खेती में टॉप राज्य है झारखंड, इन आसान तरीकों से अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं किसान

झारखंड के वनक्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए लाह की खेती रोजगार का एक बेहतर जरिया बनकर उभर रहा है. क्योंकि अब झारखंड में सरकार के साथ-साथ कई संस्थाएं भी हैं जो इसकी खेती कराने और इसके प्रंसस्करण पर ध्यान दे रही है. साथ ही अब गांवों में महिलाएं लाह की चूड़ी बनाने का काम कर रही है. इससे उन्हें अपने गांव में ही बेहतर रोजगार मिल रहा है.

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Lac Farming: लाह की खेती में टॉप राज्य है झारखंड, इन आसान तरीकों से अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं किसानसेमियालता में होती है लाह की खेती

लाह की खेती के मामले में झारखंड देश ही नहीं पूरे विश्व में पहला स्थान रहता है. यहां पर सबसे अधिक लाह की खेती और उत्पादन किया जाता है. झारखंड के लाह उत्पादन के आंकड़े को देखें तो यहां प्रतिवर्ष लगभग 8-10 हजार मिट्रिक टन लाह का उत्पादन किया जाता है. इस मामले में छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर है. झारखंड में लगभग साढ़े तीन से चार लाख किसान लाह की खेती से जुड़े हुए हैं. 400 से अधिक प्रकार के पेड़ों में लाह के कीट पाए जाते हैं पर सिर्फ 30 प्रकार के पेड़ों में ही लाह की कमर्शियल खेती की जाती है. लाह की खेती के लिए कुसुम, बेर, सेमियालता और पलाश सबसे बेहतरीन माने जाते हैं. 

झारखंड के वनक्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए लाह की खेती रोजगार का एक बेहतर जरिया बनकर उभर रहा है. क्योंकि अब झारखंड में सरकार के साथ-साथ कई संस्थाएं भी हैं जो इसकी खेती कराने और इसके प्रंसस्करण पर ध्यान दे रही है. साथ ही अब गांवों में महिलाएं लाह की चूड़ी बनाने का काम कर रही है. इससे उन्हें अपने गांव में ही बेहतर रोजगार मिल रहा है. रांची स्थित इंस्टीच्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीक्लचर (पूर्व में भारतीय राल एवं गोंद सस्थान) से राज्य में लाह की खेती करने वाले किसानों को तकनीकी मदद भी दी जाती है.झारखंड में लाह के 19 प्रक्षेत्र हैं जहां पर लाह कि खेती की जाती है. 

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बेहतर उपज के लिए अपनाएं यह तरीका

लाह की खेती में अब किसान अच्छी कमाई हासिल कर सकते हैं, पर इसके लिए उन्हें कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा और खेती के लिए वैज्ञानिक पद्धति को अपनाना होगा. तब जाकर ही अच्छा उत्पादन होगा और अच्छी कमाई होगी. बेहतर पैदावार पाने के लिए इन उपायों का करें पालन

  • लाह की खेती में वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने पर किसानों को फायदा होगा.
  • सही समय पर उन पेड़ों की कटाई छंटाई करनी चाहिए, जिन पेड़ों पर लाह की खेती की जाती है.
  • लाह की खेती करने के लिए बेर के पेड़ की कटाई छंटाई जनवरी-फरवरी महीने में करनी चाहिए, जबकि कुसुम के पेड़ की कटाई-छंटाई साल में दो बार जनवरी फरवरी और जुन जुलाई में की जानी चाहिए. 
  • बेहतर उत्पादन हासिल करने के लिए लाह के बीज अच्छी गुणवत्ता के होने चाहिए, जो किसी प्रगतिशील किसान के पास से खरीदा जा सकता है.
  • लाह की खेती में अच्छी उपज पाने के लिए बीज बांधने का तरीका सही होना चाहिए. इसे .दोनों छोरे से डाल से सटा कर अच्छे से बांधना चाहिए, ताकि यह डाल से पूरी तरह सटा रहे और नहीं हिले-डुले. 

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  • समय पर फूंकी लाह को उतार दें. लाह के कीट जब निकलकर डाल में बैठ जाते हैं तब लाह खाली हो जाती है उसे फूंकी लाह कहते हैं. 
  • लाह में सही समय पर और सही तरीके से दवा का छिड़काव करना चाहिए. बरसात के एक साइकिल में तीन से चार बार दवा का छिड़काव करना चाहिए. जबकि गर्मी के एक साइकिल में दो बार दवा का छिड़काव करना चाहिए. लाह का एक साइकिल छह महीने का होता है. 
  • शिशु कीट के निकलन की प्रक्रिया को अच्छे तरीके से समझना चाहिए. इसके बाद लाह की कटाई सही तरीके से करना चाहिए. ताकि दोबारा संचारन के लिए सही समय पर बीज लाह को उपलब्ध कराया जा सके.
  • लाह के उत्पादन की बात करें तो कुसुम के पेड़ में औसतन आठ गुणा, बेर के पेड़ में औसतन पांच गुणा और सेमियालता के पेड़ में औसतन सात गुणा अधिक उत्पादन होता है. 

 

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