झारखंड में कृषि बाजार शुल्क लागू किए जाने वाले विधेयक को लेकर झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स बैकफूट पर आने को तैयार नहीं है. चैंबर का विरोध जारी है और विरोध के तौर पर चैंबर की तरफ से बुलाया गया बंद जारी है. फल सब्जियों और खाद्यान्नों को थोक बाजार बंद हैं, खुदरा दुकानों के पास भी अधिक दिनों का स्टॉक नहीं हैं. वे भी बंद में शामिल हो गए हैं. इससे राज्यभर में खाद्य संकट पैदा हो सकता है. हालांकि रांची चैंबर के अध्यक्ष का कहना है कि अगर राज्य में दुकानों के बंद होने के कारण जनता को परेशानी होगी तो इसकी जिम्मेदार सरकार खुद होगी.
रांची चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष का कहना है कि इस दोहरे टैक्स वाले सिस्टम को लागू करने से इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा. इससे महंगाई बढ़ेगी और भष्ट्रचार को बढ़ावा मिलेगा. चैंबर का कहना है कि वो इस नए कानून का विरोध कर रहे हैं क्योंकि पिछले लंबे समय से राज्य में यह कानून लागू नहीं था,क्योंकि इसके कई सारे फायदे थे. चैंबर का कहना है कि अगर राज्य सरकार को ऐसा लगता है कि इस टैक्स के लागू होने के सरकार को राजस्व का फायदा होगा तो वह गलत सोच रही है क्योंकि इससे सरकार को नुकसान होगा.
चैंबर का मानना है कि इस टैक्स को लागू करने के बाद जीएसटी का कलेक्शन घट जाएगा, क्योंकि इस टैक्स के लागू होने से व्यापार कमी आएगी. चावल मिल का उदाहरण देते हुए चैंबर के सदस्य ने बताया कि चावल मिल में किसान आते हैं. सीधा अपना धान बेचकर जाते हैं. इसके उन्हें अच्छे पैसे मिल जाते हैं. बीच में कोई बिचौलिया नहीं आता है और ना ही उन्हें कहीं पर टैक्स देना होता है, लेकिन, दो प्रतिशत टैक्स लग जाने के बाद फूड प्रोसेसिंग यूनिट यहां पर आएंगे ही नहीं.
वहीं सरकार का तर्क है कि कृषि बाजार शुल्क से जो पैसे मिलेंगे उससे बाजार व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा. बाजार की आधारभूत सरंचना विकसित की जाएगी, साथ ही यहां कार्य करने वाले मजदूरों को के हित में कार्य किया जाएगा. इसके अलावा किसानों की सब्जियों के लिए पैकेटिंग मशीन लगाया जाएगा. इसलिए इसमे किसी को नुकसान नहीं है.
वहीं इस पर चैंबर का तर्क यह है कि नए कानून के मुताबिक पांच क्विंटल से अधिक माल होने पर लाइसेंस लेना होगा, तो इसके लिए उस किसान को या व्यक्ति क अलग से पेपर बनवाना होगा उसके लिए प्रक्रिया मुश्किल हो जाएगी. व्यापार अभी जितनी आसानी से हो रहा उसमें परेशानी आ जाएगी.
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