झारखंड के गढ़वा जिले के सीमावर्ती इलाके के रहने वाले किसानों की परेशानी हाल के दिनों में दोगुनी हो गई है. तीन राज्यों की सीमा पर स्थित गढ़वा जिले के सीमावर्ती इलाके के किसान सूखे से परेशान तो हैं ही इसके अलावा नीलगाय और हाथियों से भी इनकी खेती को नुकसान हो रहा है. जिले के सीमा पर पड़ने वाले प्रखंड बिष्णुपुरा, सांडी, रंका, बरगड़ और भंडरिया प्रखंड में जंगली हाथी जमकर उत्पात मचा रहे और दूसरी तरफ नीलगाय भी फसलों को नुकसान पहुंचा रही है. इन सबके बीच किसान लाचार है और अपनी फसल को बर्बाद होते देखकर भी उसके पास उसे बचाने का कोई तरीका नहीं समझ में आ रहा है. मजबूरन कई किसान खेती-बारी छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं.
जानवरों के आतंक से किसान तबाह हो रहे हैं. पर इनकी सुनने वाला कोई नहीं है. ना ही वन विभाग और ना ही कृषि विभाग की तरफ से इन किसानों को किसी प्रकार की मदद मिल रही है. किसानों को हो रहे नुकसान की भारपाई भी नहीं हो पा रही है. उल्लेखनीय है कि आज भी जिले की 80 फीसदी आबादी आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर है, पर पिछले कुछ सालों से खेती में हो रहे नुकसान के कारण कई किसान खेती करना छोड़कर मजदूरी कर रहे हैं या फिर काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं. इसका परिणाम यह हुआ है कि गढ़वा के उत्तरी इलाके में खेती अब लगभग खत्म सी हो गई है.
इस बारे में पूछने पर गढ़वा जिले के कृषि विभाग पदाधिकारी शिव शंकर प्रसाद ने कहा कि विभाग को भी इस बात की जानकारी है कि नीलगाय और हाथियों द्वारा फसलों को काफी नुकसान पहुंच रहा है. किसान अक्सर बैठकों में इस बात की चर्चा करते हैं. पर उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के पास किसानों की इस समस्या का कोई समाधान नहीं है. नीलगाय और हाथी से हुए नुकसान की भारपाई करने के लिए कृषि विभाग के पास किसी प्रकार की कोई गाइडलाइन नहीं है. यह पूरा का पूरा मामला वनविभाग का है. उन्होंने कहा कि किसानों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए वनविभाग को पहल करनी चाहिए क्योंकि किसानों को काफी नुकसान हुआ है.
विष्णुपुरा प्रखंड के अमहर गांव के किसान शिवा ने बताया कि नीलगाय के आतंक के कारण उनके गांव के एक दर्जन से अधिक किसानों ने खेती छोड़ दी है. उन्होंने बताया की मंदीप चंद्रवंशी, अरुण राम, सुरेंद्र राम, रामकृत बैठा जैसे किसान हैं जो लगभग 50 एकड़ से अधिक जमीन में खेती करते थे. वहां पर एक डैम भी है इसके कारण उनके पास सिंचाई की भी सुविधा है पर वो नीलगाय के आंतक से परेशान है और खेती करना छोड़ चुके हैं. उन्होंने बताया की कई बार रातभर जागकर भी किसान अपने खेती की फसल को नहीं बचा पाते हैं, तार के बाड़ लगाने पर भी कोई फायदा नहीं होता है, झुंड के झुंड नीलगाय आते हैं और खड़ी फसल को खाते हैं और रौंदकर चले जाते हैं, इस पर वन विभाग का रवैया भी काफी उदासीन है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today