पश्चिमी ओडिशा के जिलों में लंबे समय तक नहीं बरसे बादल, पानी के अभाव में सूख गए खेत

पश्चिमी ओडिशा के जिलों में लंबे समय तक नहीं बरसे बादल, पानी के अभाव में सूख गए खेत

दरअसल पश्चिमी ओडिशा में कुल चार ऐसे जिले हैं जिन्हें सूखे के लिए जाना जाता है. उनमे कालाहांडी, बालांगीर, नुआपाड़ा और बरगड़ है. इसके अलावा भी कुछ अन्य जिले हैं जहां पर बारिश नहीं होने के कारण फसलों को नुकसान हुआ है.

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पश्चिमी ओडिशा के जिलों में लंबे समय तक नहीं बरसे बादल, पानी के अभाव में सूख गए खेतखाली पड़े खेत सांकेतिक तस्वीरः किसान तक

साल 2023 में भारत में अब तक मॉनसून की स्थिति बेहद अच्छी नहीं कही जा सकती है क्योंकि कई ऐसे राज्य हैं जहां भारी बारिश के कारण खूब तबाही हुई वहीं देश के कई राज्यों में बारिश नहीं होने के कारण खरीफ की फसलों को काफी नुकसान हुआ है. क्योंकि इन राज्यों में वर्षा का वितरण सही तरीके से नहीं हुआ. ओडिशा भी ऐसे ही राज्यों में से एक हैं जहां पर कुछ जिलों में भारी बारिश के कारण बाढ़ का सामना करना पड़ा वहीं कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां पर सूखे की अवधि लंबे समय तक रही इसके कारण खऱीफ की फसलों को काफी नुकसान हुआ है. खास कर अगस्त महीने में राज्य के पश्चिमी जिलों में लंबे समय तक बारिश नहीं हुई इसके चलते फसलों को काफी नुकसान हुआ है. 

दरअसल पश्चिमी ओडिशा में कुल चार ऐसे जिले हैं जिन्हें सूखे के लिए जाना जाता है. उनमे कालाहांडी, बालांगीर, नुआपाड़ा और बरगड़ है. इसके अलावा भी कुछ अन्य जिले हैं जहां पर बारिश नहीं होने के कारण फसलों को नुकसान हुआ है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इन सूखा प्रभावित जिलों के किसानों का कहना है कि जिस खेत पर पिछले साल उन्होंने 20 क्विंटल धान उगाया था उस खेत से इस बार धान का एक दाना तक नहीं उगा है. अगस्त के महीने में लंबे समय तक बारिश नहीं होने के कारण किसानों के धान के खेतों की यह हालत हो गई है. फसल नहीं होने के कारण इलाके से पलायन में और तेजी आने की संभावना है. 

लंबे समय तक नहीं हुई बारिश

बारिश की बात करें तो पश्चिमी ओडिशा के नुआपाड़ा जिले में अगस्त महीने में सामान्य 327.8 एमएम से कम बारिश दर्ज की गई. यहां पर बारिश का विचलन 30 प्रतिशत रहा. जिले के खरियार प्रखंड में सबसे कम बारिश दर्ज की गई. यहां अगस्त के महीने में केवल छह दिन मध्यम दर्जे की बारिश हुई. जो 150 एमएम थी, यह सामान्य बारिश 327.8 एमएम से 55 फीसदी कम है. इसके अलावा भी अन्य चार प्रखंड हैं उनमें भी बारिश का विचलन 20-30 फीसदी तक हुआ है. पूरे जिले की बात करें तो यहां पर अगस्त के महीने में 16 दिनों तक बारिश नहीं हुई. खरियार में 25 दिन बारिश नहीं हुई. 

68 फीसदी तक कम हुई बारिश

कालाहांडी और कंधमाल जिलों के बारिस के आंकडे देखे तों कालाहांडी में 68 प्रतिशत और कंधमाल में 65 प्रतिशत की कम वर्षा दर्ज की गई. सोमवार 11 सितंबर तक दोनों जिलों में वास्तविक वर्षा 85.6 मिमी और 78.2 मिमी दर्ज की गई थी. जबकि तटीय जिले खुरधा, पुरी, कटक, जाजपुर, बालासोर, भद्रक, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा और गंजम के साथ-साथ दक्षिणी जिले गजपति, कोरापुट और नबरंगपुर और पश्चिम में बौध और बलांगीर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. मौसम विज्ञानी ने कहा कि इन जिलों में बारिश की कमी 22 से 57 प्रतिशत तक है. 

किसान कैसे मनाएंगे त्योहार    

पश्चिमी राज्य के एक और जिले कालाहांडी की बात करें तो वहां पर भी इस बार जून के महीने से ही मॉनसून की स्थिति अच्छी नहीं रही. यहां पर इस बार मॉनसून की एंट्री दो सप्ताह की देरी से हुई थी इसके कारण किसानों को धान की खेती करने में देरी हुई. जिले में सिंचाई सुविधाओं का भी घोर अभाव है इसके कारण किसान पीछे हो गए. फिर जुलाई के महीने में भी बारिश हुई पर लंबे समय तक सूखा भी रहा. इसका सीधा असर धान और कपास की खेती पर पड़ा है. किसान इसलिए भी चिंतित हैं कि आगामी 20 सिंतबर को उनका त्योहार नुआखाई मनाया जाएगा और खेत में फसल नहीं है.  

 

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