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कद्दू-लौकी की जड़ को सड़ने से बचा लिया तो बंपर होगी उपज, कृषि वैज्ञानिकों ने बताए बचाव के उपाय

कद्दू-लौकी की जड़ को सड़ने से बचा लिया तो बंपर होगी उपज, कृषि वैज्ञानिकों ने बताए बचाव के उपाय

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय ऐसे मौसम में टमाटर और बैंगन में फली छेदक कीट का प्रकोप हो सकता है. इस सब्जियों को फली छेदक कीट से बचाने के लिए खेत में टी आकार का डंडा गाड़ देना चाहिए जहां पर चिड़ियां आकर बैठ सके.

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कृषि सलाह (सांकेतिक तस्वीर) कृषि सलाह (सांकेतिक तस्वीर)

झारखंड में 15 अप्रैल से जबरदस्त गर्मी पड़ने वाली है क्योंकि राज्य में 15 अप्रैल से पछुआ हवा का प्रकोप शुरू हो जाएगा. इसके साथ ही राज्य के अधिकतम तापमान में भी बढ़ोतरी होने की संभावना है. ऐसे में राज्य में किसान आमतौर पर सब्जियों की खेती करते हैं. अधिकम तापमान में बढ़ोतरी और तेज धूप के कारण सब्जियों में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है साथ ही उनमें कीट औऱ रोगों का खतरा रहता है. झारखंड में प्रमुख तौर पर इस समय किसान खेतों में कद्दू, खीरा, टमाटर और बैंगन जैसी सब्जियों की खेती करते हैं. ऐसे में किसानों को मौसम के कारण किसी तरह का नुकसान नहीं हो इसे लेकर कृषि वैज्ञानिकों की तरफ से सलाह जारी किया जाता है. साथ ही किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.,

कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि है कि झारखंड में सोमवार से तापमान में बढ़ोतरी होती साथ ही नमी में कमी आएगी. ऐसे में सब्जी उत्पादन किसानों को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि वो अच्छा उत्पादन ले सके और उन्हें किसी प्रकार का नुकसान नहीं हो. किसानो के लिए जारी सलाह में बताया गया है कि इस वक्त लगातार आसमान में बादल छाए रह रहे हैं और गर्मी भी पड़ रही जबकि मौसम में नमी है.  ऐसे में कद्दू वर्गीय सब्जियों में लाल भृंग कीट का प्रकोप देखा जा रहा है. सब्जियों को इस कीट के प्रकोप से बचाने के लिए उसके पौधों में राख का छिड़काव करना चाहिए. किसानों के पास अगर राख की व्यवस्था नहीं है तो नीम आधारित कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर कीट का प्रकोप अधिक है लैंब्डासाईहालोथ्रिन नामक कीटनाशी को एक मिली प्रति लीटर पानी में घोल बना कर जड़ों में छिड़काव करें.

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कद्दू की जड़ सड़ने पर करें यह उपाय

जो किसान इस वक्त नर्सरी तैयार कर रहे हैं या फिर जिन्होंने बीज की बुवाई की है वो नए पौधों को अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए पुआल से ढंक दे. इससे मिट्टी की नमी बचाने में भी मदद मिलती है. इस समय कद्दू की सब्जियों में जड़ सड़ने की शिकायतें भी सामने आ रही है. कद्दू के जड़ को स़ड़ने से बचाने के लिए टेबुकोनजोल 50 फीसदी और ट्राइऑक्सिस्ट्रोबीन 25 फीसदी डब्ल्यू जी का एक ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इससे काफी लाभ होता है. इस तरह से कद्दू के पौधों को कीट के प्रकोप से बचाया जा सकता है. 

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फली छेदक कीट नियंत्रण के उपाय

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय ऐसे मौसम में टमाटर और बैंगन में फली छेदक कीट का प्रकोप हो सकता है. इस सब्जियों को फली छेदक कीट से बचाने के लिए खेत में टी आकार का डंडा गाड़ देना चाहिए जहां पर चिड़ियां आकर बैठ सके. इसके साथ ही जो फसल तना छेदक कीट के कारण बर्बाद हो गई है उसे जमा करके जमीन में गाड़ दें. साथ ही फल छेदक कीट के नियंत्रण के लिए दवाओं का छिड़काव करें. इस कीट के नियंत्रण के लिए किसान अपने खेतों में फेरोमोन ट्रैप लगा सकते हैं. साथ ही अगर कीट का प्रकोप अधिक है तो 1 ग्राम बीटी प्रति लीटर पामी में मिलाकर खेतों में छिड़काव करें. इसके बाद भी अगर कीट पर नियंत्रण नहीं होता है तो स्पाइनोसेड 48 ईसी का 1 मिली प्रति चार लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.