हरियाणा के अंबाला जिले में इस बार सरसों के उत्पादन में गिरावट आई है. कहा जा रहा है कि बारिश और ओलावृष्टि से जिले में सरसों की पैदावार में प्रति एकड़ 1.5 से 2 क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि किसानों को जनवरी तक बंपर फसल की उम्मीद थी, लेकिन ओलावृष्टि और बारिश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. खास कर शहजादपुर और नारायणगढ़ के कुछ इलाकों में फसल को काफी नुकसान हुआ.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, साहा क्षेत्र के तिलहन किसान सुभाष कुमार ने कहा कि पिछले साल औसत उपज 8 क्विंटल प्रति एकड़ थी, लेकिन इस साल औसत उपज केवल 6 क्विंटल के आसपास है. जनवरी तक मौसम अच्छा रहने के कारण मुझे बेहतर पैदावार की उम्मीद थी लेकिन असामयिक बारिश ने इस पर असर डाला. एक अन्य सरसों किसान राजिंदर कुमार ने कहा कि प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण इस साल पैदावार कम रही है. मेरी पांच एकड़ जमीन में सिर्फ 30 क्विंटल से अधिक की उपज है, जबकि पिछले साल उपज लगभग 40 क्विंटल थी.
भारतीय किसान यूनियन (चारुनी) के जिला अध्यक्ष मलकीत सिंह ने कहा कि इस साल खराब मौसम के कारण किसानों को सरसों में भारी नुकसान हुआ है. शहजादपुर और नारायणगढ़ इलाकों में किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है क्योंकि कुछ मामलों में पूरी फसल बर्बाद हो गई है. उन्होंने कहा कि उपज के नुकसान के अलावा, सभी खरीद केंद्रों पर सरकारी खरीद के अभाव में बड़ी मात्रा में एमएसपी से नीचे निजी खरीदारों को बेचा गया. जबकि एमएसपी 5,650 रुपये प्रति क्विंटल था, किसानों ने उपज 4,600 रुपये से 5,300 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बेची. अगर सरकार सचमुच चाहती है कि जिले में सरसों की फसल का रकबा बढ़े तो उसे तिलहन किसानों की सुरक्षा के लिए कोई नीति बनानी चाहिए.
मार्केटिंग बोर्ड से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जिले की विभिन्न अनाज मंडियों में 55,381 क्विंटल से अधिक सरसों की आवक हो चुकी है. निजी खरीददारों द्वारा 25,942 क्विंटल से अधिक और सरकारी खरीद एजेंसी द्वारा 29,439 क्विंटल से अधिक की खरीद की गई. अब तक कुल आवक में 35 फीसदी की गिरावट देखी गई है. पिछले साल 11 अप्रैल तक 85,132 क्विंटल बीज की आवक हुई थी, जबकि इस साल कुल आवक 55,381 क्विंटल दर्ज की गई है. हालांकि सात अनाज मंडियों से आवक की सूचना है, केवल मुलाना और शहजादपुर में ही सरसों की खरीद के लिए खरीद केंद्र घोषित किए गए थे.
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