Jharkhand Agriculture News: कृषि विभाग ने ब्लैकलिस्ट करने के 10 दिनों बाद फिर से सभी कंपनियों पर हटाया बैन, आंदोलन के मूड में किसान महासभा

Jharkhand Agriculture News: कृषि विभाग ने ब्लैकलिस्ट करने के 10 दिनों बाद फिर से सभी कंपनियों पर हटाया बैन, आंदोलन के मूड में किसान महासभा

दरअसल कुछ दिन पहले विभाग में ड्रिप इरिगेशन स्कैम का मामला सामने आया था. जिसमें जांच के बाद कार्रवाई भी गई थी. नाबार्ड के तहत संचालित थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन एजेंसी नाबार्ड कंसलटेंसी सर्विसेज के भी कुछ कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई हुई थी.

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Jharkhand Agriculture News: कृषि विभाग ने ब्लैकलिस्ट करने के 10 दिनों बाद फिर से सभी कंपनियों पर हटाया बैन, आंदोलन के मूड में किसान महासभाकृषि विभाग ने 10 कंपनियों को किया ब्लैकलिस्ट से बाहर फोटोः कृषि विभाग

झाऱखंड राज्य कृषि विभाग इन दिनों लगातार सवालों के घेरे में है. ओफाज, बागवानी और कृषि तीनों में ही गड़बड़ी की खबरे सामने आ रही है. इस बार एक ऐसा मामला सामना आया है जिसके बाद राज्य के किसान नेता आंदोलन के मूड में है. दरअसल मामला यह है कि कृषि विभाग ने आपूर्ति करने वाले 10 कंपनियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया था. फिर अचानक 10 दिन बाद ही उन सभी 10 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट से बाहर कर दिया है. जबकि इन सभी कपंनियों को सीपैट की जांच रिपोर्ट आने बाद काली सूची में डाला गया था. अब इन कंपनियों को काली सूची से बाहर निकालने के बाद कृषि विभाग एक बार फिर से इन कंपनियों के द्वारा आपूर्ति की जा रही सामग्रियों की जांच करेगा.

दरअसल कुछ दिन पहले विभाग में ड्रिप इरिगेशन स्कैम का मामला सामने आया था. जिसमें जांच के बाद कार्रवाई भी गई थी. नाबार्ड के तहत संचालित थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन एजेंसी नाबार्ड कंसलटेंसी सर्विसेज के भी कुछ कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई हुई थी. इसके बाद विभागीय जांच में यह पाया गया था कि प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत विभाग को चयनित आपूर्तिकर्ता कंपनियों की तरफ से जो प्लास्टिक पाइप की आपूर्ति की जा रही है इसकी गुणवत्ता सही नहीं है. जांच में यह भी पाया गया कि जो प्लास्टिक पाइप का आपूर्ति की गई है उसकी गुणवत्ता विभाग द्वारा तय मापदंडों को पूरा नहीं करती है. 

जांच कमिटि की रिपोर्ट आने के बाद हुआ फैसला

मामले के सामने आए के बाद कृषि विभाग के निदेशक ने जांच कमिटि का गठन किया था. इस कमेटी में भारत सरकार की संस्था सीपैट को भी रखा गया था. जांच रिपोर्ट आने के बाद कुल 14 कंपनियों पर कार्रवाई की गई थी. कृषि विभाग ने फरवरी के महीने में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली में उपयोग हो रहे है प्लास्टिक उत्पाद के परीक्षण का कार्य दिया था. इसके बाद मार्च के महीने में रैंडम जांच के आधार पर सभी जिलों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत लगाए गए प्लास्टिक उत्पादों की जांच का आदेश संयुक्त निदेशक और सीपैट को दिया गया था. 17 मई को सीपैट ने अपनी रिपोर्ट दी इसके आधार पर कंपनियों को काली सूची में डाला गया था. 

आंदोलन के मूड में किसान महासभा

काली सूची में डालने के बाद इन कंपनियों पर पांच साल तक सरकारी काम करने के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि इसके बाद कंपनियों की तरफ से कृषि विभाग को स्पष्टीकरण दिया गया. इसे ही देखते हुए कृषि विभाग ने सीपैट से दूसरा ऑपिनियन लेने का फैसला किया और कपंनियों को ब्लैक लिस्ट से बाहर किया है. कृषि विभाग के इस फैसले पर झारखंड किसान महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष पंकज राय ने कहा कि इसमें कहीं ना कहीं घोटाले की संभावना है. इस मामले को सामने लाने के लिए झारखंड किसान महासभा जोरदार आंदोलन करेगी. 

 

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