झारखंड के मौसम में इस वक्त बदलाव हो रहा है. बारिश का दौर अब कम हो गया है, इसके साथ ही तेज धूप देखने के लिए मिल रही है. खरीफ फसल खेल में लगे हुए हैं. सितंबर महीने में किसान सब्जियों की खेती की शुरुआत कर देते हैं इसके साथ ही धान की खेती पर भी किसानों को ध्यान देता होता है. किसानों को ऐसे समय में खेती से संबंधित किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसलिए मौसम विभाग की तरफ से किसानों के लिए सलाह जारी किया जाता है. इन सलाहों का पालन करके किसान इस समय होने वाली परेशानियों से बच सकते हैं.
झारखंड में आने वाले कुछ दिनों के मौसम को देखते हुए जारी किए गए सलाह में कहा गया है किसान धान के खेतों की मेड़ों को दूरुस्त रखें. किसानों के लिए जारी सामान्य सलाह में कहा गया है कि धान के खेतों में जल जमाव बनाए रखें. इसके साथ ही दलहनी और तिलहनी फसलों के खेतों से उचित जल निकासी की व्यवस्था बनाए रखे. इस समय पौधों के बढ़ने का समय होता है, इसमें वृद्धि के लिए किसान दो किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बोरोन का प्रयोग करें. जिन किसानों को खेत में कीटनाशक, खाद या दवाओं का छिड़काव करना है वो मौसम पूर्वानुमान को देखते हुए साफ मौसम में करें.
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खड़ी फसल में खेत की नमी को बचाए रखने के लिए पुआल का प्रयोग कर सकते हैं. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे सफेद मक्खी और रस चूसक कीट के प्रकोप से फसलों को बचाने के लिए लगातार खेत की निगरानी करते रहें. धान की खेती में इस समय थ्रिप्स का प्रकोप देखा जा सकता है. इस कीट को नियंत्रित करने के लिए लेम्डा साइहलोथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी का 2 मिली प्रति लीटर पानी या थियोमथोक्साम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी का एक ग्राम प्रति तीन लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. मौसम साफ और सूखा होने पर ही छिड़काव करना चाहिए.
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इस समय बारिश नहीं होने के कारण दिन में खिली धूप निकल रही है और इसके कारण तापमान में मामूली बढ़ोतरी देखी जा रही है. तापमान में मामूली वृद्धि और उच्च आद्रर्ता के कारण धान में जीवाणु झुलसा रोग का संक्रमण होने की संभावना हो सकती है. इसके नियंत्रण के लिए प्लांटोमाइसिन का एक ग्राम प्रति लीटर पानी और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का एक ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ खेत में छिडकाव करना चाहिए. एक एकड़ खेत में छिडकाव करने के लिए इसे 200 लीटर पानी के साथ मिलाना चाहिए.
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