हरियाणा के कपास किसानों को इस बार नुकसान का सामना करना पड़ा है. यहां पर गुलाबी बॉलवॉर्म के प्रकोप के कारण कपास किसानों को व्यापक पैमाने पर नुकसान हुआ है. हरियाणा में का गुलाबी बॉलवॉर्म हमला कपास बेल्ट के प्रमुख इलाकों में हुआ है. जिसमें हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और भिवानी जिले शामिल है. ये वो जिले हैं जहां पर हरियाणा का लगभग 70 फीसदी कपास का उत्पादन होता है. इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि गुलाबी पिंकवॉर्म का हमला 70 फीसदी फसल पर हुआ है. राज्य के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि किसानों को जो नुकसान हुआ है उसका मुआवजा किसानों को दिलाने के लिए वो इस मामले को सीएम के सामने रखेंगे.
वहीं राज्य के किसानों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि करीब 20-30 फीसदी कपास पर प्रतिकूल असर पड़ा है. द दैनिक ट्रिब्यून के मुताबिक कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस खरीफ सीजन में राज्य में लगभग 6.5 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई की गई थी. हिसार जिले के जुगलान गांव के किसान अनिल ने बताया कि गुलाबी बॉलवॉर्म के प्रकोप के कारण उनके 80 फीसदी फसल को नुकसान हुआ है. इनता ही नहीं उन्होंने कहा कि अब खेतों में इससे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि कपास की गेंदों को बॉलवर्म ने खा लिया है, जो लगभग हर पौधे पर दिखाई देता है.
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खरड़ अलीपुर गांव के एक अन्य किसान प्रह्लाद सिंह ने कहा कि इस सीजन में उनकी कपास और धान की फसल बर्बाद होने के कारण उन्हें भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि कम बारिश जैसी मौसम की विपरीत स्थितियों के कारण स्थिति और भी खराब हो गई थी. सुलखनी गांव के किसान नरेश कुमार ने कहा कि उन्होंने कम बारिश के कारण फसलों को खेतों में सिंचाई करने के लिए खूब पैसा खर्च किया है, पर अपनी फसल वो बचा नहीं पाए. इसके कारण वो गहरे कर्ज में डूब गए हैं. अब उन्हें कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है.
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चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कपास वैज्ञानिक डॉ. आरएस सांगवान ने कहा कि गुलाबी बॉलवर्म के संक्रमण के बाद इसे नियंत्रित करना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पिंक बॉलवर्म ने सिरसा और अन्य जिलों में बड़े इलाकों को नष्ट कर दिया है. यह कीट अधिक नमी की परिस्थितियों में आक्रमण करता है, जो हाल ही में आई बाढ़ के कारण पैदा हुई है.
हालांकि एचएयू के एक प्रवक्ता ने कहा कि वे समय-समय पर किसानों को कीट के हमले के बारे में सलाह जारी करते रहे हैं. वहीं कृषि मंत्री ने कहा कि कपास किसानों को जो नुकसान हुआ है उन्हें बीमा कंपनियों की तरफ से मुआवजा दिया जाएगा. जबकि जो फसलें पीएमएफबीवाई के तहत बीमित नहीं है उनकी भी गिरदवारी कर किसानों को मुआवजा देने की मांग वो मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे.
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