साल 2024 के आगमन के साथ ही जलवायु परिवर्तन का असर बिहार में अधिक देखने को मिला है. इसका असर मानवजाति से लेकर पशु और कृषि पर देखने को मिल रहा है. साथ ही साथ बागवानी के क्षेत्र में आम और लीची के उत्पादन पर भी इसका असर नजर आ रहा है. जहां पहले बिहार की शाही लीची 15 मई तक बाजार में पहुंच जाती थी. वहीं इस बार यह समय सीमा तीन से चार दिन आगे चला गया है. पटना समेत बिहार के अन्य शहरों के बाजार में लीची पहुंच चुकी है लेकिन उसमें शाही लीची वाला स्वाद नहीं है.
बिहार लीची उत्पादक संघ ने किसानों से गुहार के साथ चेतावनी दी है कि किसान अभी लीची की तुड़ाई नहीं करें. अभी लीची कटाई या तोड़ने के लिए तैयार नहीं है, फलों में उचित रंग, गूदा, टीएसएस और अम्लता नहीं है. हालांकि कुछ लोग पैसा कमाने के चक्कर में बिना तैयार लीची को बाजार में बेच रहे है. इसकी वजह से मुजफ्फरपुर की जीआई टैग शाही लीची के नाम और संरचना पर असर पड़ रहा है. वैसे उत्पादक, व्यापारी या लोडर के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा सिंह किसान तक से बात करते हुए बताया कि उन्हें यह जानकारी मिली है कि कुछ व्यापारियों ने शाही लीची की कटाई या तुड़ाई शुरू कर दी है. यह ठीक नहीं है क्योंकि इस बार मौसम की बेरुखी की वजह से शाही लीची 18 मई से पहले तैयार नहीं हो पाएगी.
इसलिए वैसे किसानों और व्यापारियों से अनुरोध है कि उन्हीं लीचियों की कटाई या तुड़ाई करें, जो खाने योग्य है. कच्ची लीची बाजार में नहीं भेजें,जो खाने योग्य नहीं है. वरना एसोसिएशन उन व्यापारियों या उत्पादकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करेगी. वहीं, बिहार के लीची उत्पादक संघ ने दिल्ली के उप-राज्यपाल (एलजी) और बिहार के खाद्य सुरक्षा आयुक्त से लीची की गुणवत्ता की जांच करने का अनुरोध किया है.
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बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष सिंह ने कहा कि मुजफ्फरपुर की जीआई टैग शाही लीची जिस स्वाद और अपने गुण के लिए जानी जाती है. ऐसे में अगर समय से पहले लीची की तोड़कर बाजार में भेजा जाएगा तो उसके नाम और संरचना को लेकर गलत संदेश ग्राहकों के बीच जाएगा और लीची उत्पादक संघ कभी नहीं चाहेगा. इसके साथ ही यह लीची क्षेत्र के लिए अच्छा नहीं है. इससे सभी व्यापारियों या उत्पादकों और उपभोक्ताओं को नुकसान होगा.
वहीं, लीची के किसान अनिल त्रिपाठी कहते है कि इस साल कम बारिश और अधिक तापमान होने की वजह से शाही लीची 18 मई के बाद ही बाजार में पहुंच पाएगा. पिछले साल की तुलना में इस बार लीची के उत्पादन पर भी असर पड़ा है. हालांकि की बीच में बारिश होने की वजह से पचास प्रतिशत से अधिक लीची बच गया है.
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