मीट के लिए सबसे पहला नाम किसी का आता है तो वो है बकरा. यही वजह है कि आज बकरे-बकरी दूध से ज्यादा मीट के लिए पाले जाते हैं. जब चाहें बाजार में नकद बिक जाते हैं. एकसपोर्ट भी होते हैं. लेकिन देश में एक ऐसी भी भेड़ है जो बकरे से ज्यादा मुनाफा दे रही है. एक्सपोर्ट तो छोड़िए घरेलू बाजार में ही डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है. आमतौर पर भेड़ की पहचान ऊन से की जाती है. माना भी यही जाता है कि भेड़ पालन ऊन के लिए होता है. लेकिन ऐसा नहीं है. मुजफ्फरनगरी भेड़ को उसकी ऊन नहीं मीट के लिए पाला जाता है.
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