भारत को हमेशा से ही दूध-दही से संपन्न देश कहा जाता है. जहां के ज्यादातर घरों में दूध-दही की प्रचुरता पाई जाती है. इसकी एक बानगी ये है कि भारत में पशुओं को धन की संज्ञा दी गई है. आज भी देश के गांवों में पशुधन का हाल चाल लिया जाता है. असल में भारत में स्थानीय स्तर पर मवेशियों का दूध और उसके उत्पादों का बड़ा महत्व रहा है. लेकिन, अब भारत वैश्विक स्तर पर दूध और उसके उत्पादों का कारोबार कर रहा है. मसलन, ताजा उदाहरण ये है कि भारतीय मक्खन का स्वाद दुनिया को पसंद आ रहा है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो भारत के मक्खन की मांग अब विदेशों में भी बढ़ने लगी है. जिसे बेचकर भारत ने इस साल 7 महीनों में 728 करोड़ रुपये का कारोबार किया है.
भारतीय मक्खन के वैश्विक कारोबार में 9 सालों में 5 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2013 की तुलना में अप्रैल-अक्टूबर 2022 में भारत से मक्खन और डेयरी उत्पादों की निर्यात लगभग 5 गुना तक बढ़ गया है. मंत्रालय की तरफ से दिए गए आंकड़ें के अनुसार वर्ष 2013-14 में भारत ने मक्खन बेचकर 145 करोड़ की कमाई की थी. वहीं वर्ष 2022 में भारत ने मक्खन बेचकर 728 करोड़ की कमाई की है, जिसमें 9 सालों में 5 गुना की बढ़ोतरी हुई है.
यही कारण है कि भारत में दूध के उत्पादन में भी सबसे पहले वृद्धि हुई है. आज भारत दूध के उत्पादन में भी दुनिया का नंबर एक देश बन गया है. ऐसे में वैश्विक स्तर पर भी भारत अपनी अपनी पहचान बनाते जा रहा हैं. भारत में हर साल करीब 21 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता है. दुनिया में जहां दूध की खपत प्रति व्यक्ति 310 ग्राम है तो वहीं इसकी तुलना में भारत में दूध की खपत प्रति व्यक्ति 427 ग्राम यानी की आधा लीटर लगभग है
फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन ऑफ यूनाइटेड नेशन (FAO) के आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन दशकों में विश्व दुग्ध उत्पादन में करीब 60 फीसदी से अधिक वृद्धि हुई है. इसमें से भारत का योगदान सबसे अधिक रहा है. भारत 22 प्रतिशत वैश्विक उत्पादन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है. साल 2014 के बाद से यहां दूध उत्पादन में काफी तेजी आई है. इसके लिए दरअसल केंद्र सरकार देश में दुग्ध उत्पादन को लेकर कई योजनाओं और कार्यक्रमों को भी लेकर आई है जिससे किसानों और गौ पालकों को काफी लाभ हो.
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