पोल्ट्री सेक्टर हर साल आठ से 10 फीसद की तेजी से बढ़ रहा है. हर साल पोल्ट्री प्रोडक्ट अंडा-चिकन के उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है. एक्सपोर्ट को छोड़ दें तो घरेलू बाजार में डिमांड बढ़ रही है. इसी के चलते अंडे और चिकन के लिए नए-नए फार्म खुल रहे हैं. बढ़ते बाजार को देखते हुए केन्द्र और राज्य़ सरकारें भी पोल्ट्री फार्मर के लिए योजनाएं चला रही हैं. अब तो सरकार अंडे-चिकन के एक्सपोर्ट पर जोर देने लगी हैं. हालांकि बदलते वक्त के साथ ही पोल्ट्री फार्म में भी बदलाव आ गया है.
अब पोल्ट्री फार्म में उपकरण और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर मुनाफा बढ़ाया जा रहा है. पोल्ट्री इक्यूपमेंट एक्सपर्ट और पोल्ट्री इंडिया के प्रेसिडेंट उदय सिंह बयास का कहना है कि आज जिस फार्म में उपकरण और टेक्नोलॉजी को अपनाया जा रहा है वहां क्वालिटी का प्रोडक्शन होने के साथ ही अंडे-चिकन के अच्छे दाम भी मिल रहे हैं.
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प्रेसिडेंट उदय सिंह बयास ने बताया कि फीड की कम या ज्यादा मात्रा मुर्गियों को बीमार कर सकती है. कम खाया तो ग्रोथ अच्छी नहीं होगी और कमजोर होकर बीमार हो जाएंगी. वहीं अगर ज्यादा खाया तो बीमार हो जाएंगी. इसलिए आजकल पोल्ट्री फार्म में मशीनों से फीड दिया जा रहा है. मशीन मुर्गियों के केज के सामने उतना ही फीड डालती है जितनी उन्हें जरूरत है. इतना ही नहीं आज ऐसे-ऐसे माइक्रोस्कोप आ रहे हैं जो फीड के एक दाने को भी चेक करके बता देते हैं कि वो ठीक से पका है या नहीं. या फिर उसमे फंगस तो नहीं आ गया है. क्योंकि कच्चा और फंगस वाला फीड खाने से मुर्गियां बीमार हो जाएंगी.
उदय सिंह का कहना है कि कोविड-19 के बाद से पोल्ट्री फार्म में बॉयो सिक्योरिटी बहुत जरूरी हो गई है. अगर बॉयो सिक्योारिटी का पालन किया जाएगा तो बीमारियां फार्म के बाहर ही रहेंगी और बीमारी रहित अंडा-चिकन तैयार हो सकेगा. साथ ही बर्ड फ्लू के खतरों को भी रोक सकेंगे. इसका एक सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि आपका प्रोडक्ट एक्सपोर्ट के मानकों पर तैयार होगा और आप अपने अंडे-चिकन को इंटरनेशनल मार्केट में भी बेच सकेंगे. हाल ही में देश में 29 कंपार्टमेंट जोन को बीमारी रहित घोषित किया गया है.
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