अंडा उत्पादन के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. बीते साल ही 14 हजार करोड़ से ज्यादा अंडों का उत्पादन हुआ था. पोल्ट्री एक्सपर्ट और केन्द्र सरकार दोनों का ही मानना है कि देश में जितना अंडों का उत्पादन है उतना एक्सपोर्ट नहीं है. हालांकि इसके पीछे कई सारी वजह हैं. लेकिन उन्हीं में से एक प्रमुख कारण को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार लगातार काम कर रही है. एक्सपर्ट की मानें तो बहुत सारे देश चाहते हुए भी भारत से अंडा इसलिए नहीं खरीदते हैं कि उन्हें लगता है भारतीय पोल्ट्री में बीमारियां हैं.
विदेशी खरीदारों के इसी डर को दूर करने के लिए केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय देश में पोल्ट्री डीजिज फ्री कंटेनमेंट जोन बना रहा है. पहले चरण में 26 जोन बनाए गए थे. उसके बाद इनकी संख्या बढ़कर 33 हो गई. हाल ही में सचिव अलका उपाध्याय ने जानकारी दी है कि देश में अब डीजिज फ्री कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़कर 42 हो गई है. अभी इन्हें बढ़ाने के लिए लगातार काम चल रहा है. इसका मकसद अंडों के एक्सपोर्ट को बढ़ाकर पोल्ट्री फार्मर की इनकम को बढ़ाना है.
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एनीमल हसबेंडरी कमिश्नर अभीजीत मित्रा का कहना है कि कोविड, स्वाइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत और भी न जानें ऐसी कितनी महामारी हैं जो पहले पशु-पक्षियों हुई और उसके बाद इंसानों में आई हैं. इन्हें जूनोटिक बीमारी कहा जाता है. लेकिन अब वर्ल्ड लेवल पर इस पर काबू पाने की कवायद शुरू हो गई है.
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