खेती-किसानी के बाद भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन बड़े स्तर पर एक व्यवसाय के तौर पर तेजी से उभर रहा है. कई किसान वर्षों से गाय, भैंस, बकरी या भेड़ पाल रहे हैं. लेकिन कई किसानों और पशुपालकों को यह नहीं पता है कि वे सूअर पालन करके भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं अब सूअर पालन में होने वाले मुनाफे को देखते हुए कुछ सालों में किसानों की दिलचस्पी सूअर पालन में बेहद तेजी से बढ़ी है. विशेषज्ञों के अनुसार सूअर पालन के लिए ज्यादा पूंजी लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि एक दिन में सूअर का वजन कितना बढ़ता है और सूअर पालन के क्या हैं फायदे. आइए जानते हैं.
यदि आप चाहते हैं कि सूअरों का जल्दी वजन बढ़ जाए, तो उन्हें चारा सही मात्रा में खिलाना जरूरी होता है. दरअसल, रात में सूअरों को खाना खिलाना भी बहुत जरूरी होता है. यदि सूअरों को दिन और रात में ठीक से खिलाया जाए तो यह उनका एक दिन में 500-600 ग्राम तक वजन बढ़ जाता है. ऐसे में कुछ नस्ले इससे भी ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं. ऐसे में पशुपालक सुअर पालन से पहले अच्छी नस्ल का चयन करके ही सुअर पालन की शुरुआत कर सकते हैं.
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1. सूअर किसी भी अन्य जानवर की तुलना में तेजी से बढ़ते हैं. सूअरों में खाने की क्षमता बहुत अधिक होती है.
2. सूअर अनाज, खराब भोजन, चारा, फल, सब्जियां, कचरा, गन्ना आदि सहित लगभग सभी प्रकार का भोजन खा सकते हैं. कभी-कभी वे घास और अन्य हरे पौधे या जड़ें भी खा सकते हैं.
3. सूअर अन्य जानवरों की तुलना में जल्दी परिपक्व हो जाते हैं. मादा सुअर 8-9 महीने की उम्र में पहली बार मां बन सकती है. वे साल में दो बार बच्चे पैदा कर सकते हैं और प्रत्येक प्रसव में वे 8-12 बच्चों को जन्म देती हैं.
4. सुअर पालन व्यवसाय स्थापित करना आसान है. उनके रहने के लिए बाड़े बनाने और उपकरणों की खरीद के लिए केवल छोटी पूंजी की आवश्यकता होती है.
5. सूअरों में कुल उपभोग योग्य मांस और कुल शरीर के वजन का अनुपात अधिक होता है. हम अपने उपभोग योग्य मांस का लगभग 60 से 80 प्रतिशत सूअरों से प्राप्त कर सकते हैं.
6. सुअर का मांस सबसे पौष्टिक और स्वादिष्ट मांस में से एक है. इसमें फैट और ऊर्जा अधिक और पानी कम होता है.
7. पोल्ट्री फ़ीड, पेंट, साबुन और रासायनिक उद्योगों में भी सुअर की चर्बी की भारी मांग है. सुअर के चर्बी से ये सारे प्रोडक्ट बनाए जाते हैं. जिसकी मांग बाजार में लगातार बढ़ती जा रही है.
8. सूअर 7-9 महीने की उम्र में मांस के लिए उपयुक्त हो जाते हैं. इस अवधि के भीतर उनका विपणन योग्य वजन 70-100 किलोग्राम तक पहुंच जाता है.
9. भारत में सुअर के मांस की अच्छी घरेलू मांग है और इसके अलावा आप सुअर के उत्पादों जैसे बेकन, हैम, लार्ड, पोर्क, सॉसेज आदि को विदेशों में निर्यात करके भी अच्छी आय कमा सकते हैं.
10. सुअर पालन व्यवसाय छोटे और भूमिहीन किसानों, बेरोजगार, शिक्षित या अशिक्षित युवाओं और ग्रामीण महिलाओं के लिए आय का एक बड़ा अवसर हो सकता है.
11. इनकी विकास क्षमता काफी अच्छी होती है जबकि अन्य जानवरों की वृद्धि क्षमता 50 से 100 ग्राम प्रतिदिन होती है और सूअरों की वृद्धि क्षमता 500-600 ग्राम प्रतिदिन की दर से होती है.
12. सूअरों में अन्य जानवरों की तुलना में बहुत कम बीमारियां होती हैं, जिसके कारण उन्हें अपनाने में बहुत कम कठिनाइयां होती हैं और बीमारी के इलाज की लागत भी बहुत कम होती है.
13. इस बिजनेस में मुनाफा 30-50 फीसदी तक होता है.
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