Zoonotic Diseases जूनोटिक डिजीज एक बड़ा खतरा बन चुकी हैं. पशुओं से इंसानों को होने वाली बीमारियों को जूनोटिक डिजीज कहा जाता है. इस वक्त देश में एक बार फिर कोविड को लेकर चर्चाएं हो रही हैं. देश के कई शहरों में कोविड के केस सामने आ रहे हैं. ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि अलर्ट रहा जाए. खासतौर से ऐसे लोगों को ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है जो दिनभर में कई बार पशुओं के संपर्क में आते हैं. उन्हें छूते हैं और उनके नजदीक रहते हैं. क्योंकि, अगर सावधानियां न बरती जाएं तो पशु और इंसानों दोनों को नुकसान हो सकता है.
पशुपालन हो या मुर्गी पालन दोनों में नुकसान उनके बीमार पड़ने या बीमारी से मरने पर होता है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशुपालन में नुकसान हो ही ना अगर पशु-पक्षी बीमारियों की चपेट में ना आएं. क्योंकि बहुत सारी ऐसी बीमारियां हैं जो डेयरी और पोल्ट्री फार्म पर ताला तक लगवा देती हैं. ऐसी ही कुछ बीमारियों पर काबू पाने के लिए नेशनल वन हैल्थ मिशन (NOHM) शुरू किया गया है.
एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो कोविड, स्वाइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत और भी न जानें ऐसी कितनी महामारी हैं जो पशु-पक्षियों से इंसानों में आई हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 17 लाख वायरस जंगल में फैले होते हैं. इसमे से बहुत सारे ऐसे हैं जो जूनोटिक हैं. जूनोटिक वो होते हैं जो पशु-पक्षियों से इंसान में फैलते हैं. जूनोटिक के ही दुनिया में हर साल 100 करोड़ केस सामने आते हैं और इससे 10 लाख की मौत हो जाती हैं. अब वर्ल्ड लेवल पर इस पर काबू पाने की कवायद शुरू हो गई है.
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