इफ्को और कृभको ही नहीं मिल्क कोऑपरेटिव अमूल और नंदनी की भी चर्चा दुनियाभर में होती है. बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां ये देख और जानकर परेशान हैं कि कैसे भारतीय कोऑपरेटिव लाखों किसानों और पशुपालकों को अपने साथ जोड़कर करोड़ों का मुनाफा कमा रही हैं. इतना ही नहीं मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा किसान और पशुपालकों के खाते में जा रहा है. इसी काम को और नजदीक से देखने और समझने के लिए दुनियाभर के तमाम लोग गांव-गांव जाकर भारतीय कोऑपरेटिव के काम को देखेंगे. और मौका होगा इंटरनेशनल कोऑपरेटिव ईयर (अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष) का.
सयुंक्त राष्ट्र संघ ने साल 2025 को इंटरनेशनल कोऑपरेटिव ईयर घोषित किया है. सहकारिता मंत्रालयय के मुताबिक दुनियाभर के करीब 100 देश एक बड़े कार्यक्रम के तहत भारत आएंगे. ये लोग कोऑपरेटिव के काम करने के तौर-तरीकों को बेहद नजदीक से दखेंगे. ना सिर्फ काम करने के तरीके देखेंगे बल्कि काम करने वालों से भी मिलेंगे. इस कार्यक्रम को जी-20 की तर्ज पर आयोजित करने की तैयारी चल रही हैं.
कोऑपरेटिव से जुड़े जानकारों की मानें तो देश के सभी कोऑपरेटिव देश की इकोनॉमी को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होंगे. कहीं न कहीं ये देश के विजन 2047 को कामयाब बनाएंगे. साथ ही इस साल मनाए जा रहे इंटरनेशनल कोऑपरेटिव ईयर के तहत 100 देशों के आने वाले मेहमानों को बताएंगे कि कैसे कोऑपरेटिव हजारों करोड़ का कारोबार कर गरीब किसान और पशुपालक तक मदद पहुंचा रहे हैं.
इंटरनेशनल कोऑपरेटिव ईयर को हम जी-20 की तर्ज पर आयोजित करने की तैयारियां चल रही हैं. ये सहकार से समृद्धि की थीम पर होगा. इसमे शामिल होने के लिए 100 देशों के प्रतिनिधि आएंगे. वो सिर्फ दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में ही हिस्सा नहीं लेंगे, बल्कि उन्हें देश के दूसरे राज्यों में ले जाकर कोऑपरेटिव के तौर-तरीके बताए जाएंगे. नेशनल समेत स्टेट के कोऑपरेटिव के बारे में उन्हें बताया जाएगा. इतना ही नहीं कैसे आज दूध के सेक्टर में काम करने वाला अमूल इतना बड़ा कोऑपरेटिव बन कि आज विदेशों में दूध सप्लाई किया जा रहा के बारे में भी बताया जाएगा.
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