Camel Milk: फ्यूचर मिल्क ऊंटनी के दूध खूबिया गिना रहा है NCRC, जानें वजह

Camel Milk: फ्यूचर मिल्क ऊंटनी के दूध खूबिया गिना रहा है NCRC, जानें वजह

ऊंटनी के दूध से पनीर, आइसक्रीम समेत दूसरे पदार्थ बनाए जा रहे हैं. ऊंटनी के दूध से कौन-कौनसे पदार्थ और कैसे बनाए जा सकते हैं इसकी भी ट्रेनिंग बीकानेर में दी जा रही है. लेकिन ऊंटनी के दूध को लेकर कई तरह की अफवाहें भी हैं. इसी को देखते हुए ऊंट रिसर्च सेंटर  अलग-अलग मौकों पर लोगों को ऊंटनी के दूध की खूबियां गिना रहा है. 

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Camel Milk: फ्यूचर मिल्क ऊंटनी के दूध खूबिया गिना रहा है NCRC, जानें वजहऊंटनी का दूध

एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि गाय-भैंस के अलावा और जितने भी दुधारू पशु हैं उनका दूध दवाई ज्यादा दूध कम है. यही वजह है कि ऐसे पशुओं के दूध को फ्यूचर मिल्क कहा जा रहा है. फ्यूचर मिल्क की डिमांड बढ़ाने और पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए प्लान पर काम किया जा रहा है. ऐसा ही एक पशु है ऊंट. ऊंटनी का दूध कई गंभीर बीमारियों में दवाई की तरह काम करता है. पाली, राजस्थान से ऊंटनी का दूध लेकर स्पेशल ट्रेन देश के अलग-अलग इलाकों में जाती है. 

विदेशों में ऊंटनी के दूध की बहुत डिमांड है. ऊंटनी का दूध डायबिटीज, टीबी और ऑटिज्म जैसी बीमारी में बहुत फायदा पहुंचाता है. सरकार की मदद से देश में ऊंटनी के दूध को लेकर बहुत काम हो रहा है. इसके पीछे एक बड़ी वजह ये कि ऊंटों की संख्या घट रही है. ऊंटों की घटती संख्या को रोकने के लिए ही सरकार ऊंटनी के दूध कारोबार को बढ़ावा दे रही है.

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ये हैं ऊंटनी के दूध से जुड़ी खूबियां 

  • ऊंटनी का दूध थोड़ा नमकीन होता है. लेकिन कि इसे बड़े ही आराम से पिया जा सकता है. 
  • ऊंटनी के दूध में नमकीन स्वाद रेगिस्तान में ऊंट द्वारा खाए जाने वाले पौधों से आता है. 
  • ऊंट के दूध को भी अन्य दूध की तुलना में कमरे के तापमान पर लम्बे वक्त तक रखा जा सकता है.
  • ऊंट के ताजे दूध को 30°C पर 8 घंटे तक रखा जा सकता है. 
  • ऊंटनी के पाश्चुरीकृत दूध को 4ºC पर 10 दिन से ज्यादा वक्त तक रखा जा सकता है. 
  • दूध में लैक्टोपेरोक्सिडेस सिस्टम सक्रिय हो तो लम्बे वक्त तक रखा जा सकता है. 
  • ऊंटनी का दूध गाय-भैंस, भेड़-बकरी आदि के दूध की तुलना में पतला और कम चिपचिपा होता है.
  • ऊंटनी का दूध जब हिलाया जाता है तो यह झागदार और गाढ़ा हो जाता है.
  • ऊंटनी का दूध पीने से दस्त नहीं होते हैं, लेकिन यह मल त्याग में मदद होता है. 
  • ऊंटनी के दूध से दही बनाने के दौरान दूध में फॉर्मेंटेशन होता है और ज्यादा वक्त लगता है. 
  • दूध से मिलने वाले दही की बनावट ऊंटनी के दूध में नहीं आती है. 
  • ऊंटनी के दूध में के-कैसिइन की मात्रा बहुत कम होती है. 
  • ऊंटनी के दूध में फैट फीसद 1.5 से 3.5 के बीच होता है, जो मवेशियों के दूध से कम है.
  • ऊंटनी के दूध में इंसुलिन की मात्रा ज्यादा होती है (करीब 40 µIU/ml).
  • ऊंटनी का दूध मानव दूध के बहुत करीब है और यह बच्चों में एलर्जी पैदा नहीं करती है.
  • ऊंटनी के दूध के सेवन से इंसानों में लैक्टोज इनटॉलरेंस की रिपोर्ट नहीं की गई है. 

नोट- 
ऊंटनी के दूध से डेयरी प्रोडक्ट जैसे- चाय, कॉफी, फ्लेवर्ड मिल्क, फॉर्मेंट दूध, पाश्चुरीकृत दूध, कुल्फी, पनीर, मावा, गुलाब जामुन, बर्फी, रसगुल्ला, पेड़ा और दूध पाउडर आदि बनाए जा रहे हैं.
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