कड़कनाथ अब सिर्फ एक नाम नहीं रहा है. महंगे चिकन और महंगे अंडे कड़कनाथ की पहचान बन चुके हैं. यही वजह है कि कड़कनाथ की डिमांड अब सिर्फ खाने ही नहीं पालने को लेकर भी रहती है. बैकयार्ड पोल्ट्री में आज भी ज्यादातर लोग अंडे-चिकन के लिए पाले जाने वाले मुर्गे-मुर्गियों में पहली वरीयता कड़कनाथ को दे रहे हैं. कड़कनाथ पालने के पीछे जहां ज्यादा मुनाफे की बात है तो वहीं खाने के पीछे अंडे-चिकन की मेडिसिनल वैल्यू है. बिहार एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी, पटना ने भी कड़कनाथ के अंडे-चिकन में मेडिसिनल वैल्यू होने का दावा किया है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि हालांकि फार्म के सफेद अंडे में भी मेडिसिनल वैल्यू है. लेकिन देसी मुर्गे-मुर्गियों के अंडे में मेडिसिनल वैल्यू ज्यादा होती है. यही वजह है कि मुर्गियों की देसी नस्ल असील का अंडा 100 रुपये तक का बिक जाता है. वहीं इनका उत्पादन कम होता है तो इसलिए भी ये महंगे बिकते हैं.
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कई आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के साथ ही बिहार एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी, पटना का दावा है कि कड़कनाथ मुर्गे में औषधीय गुण होते हैं. मुर्गों की दूसरी नस्ल के मुकाबले प्रोटीन की मात्रा भी बहुत ज्यादा होती है. फैट की मात्रा बहुत कम होती है. यूनिवर्सिटी का ये भी दावा है कि कई रिसर्च में ये सामने आया है कि कड़कनाथ मुर्गे का मीट ब्लड प्रेशर के उपचार में खासा महत्व रखता है. विटामिन B1, B2, B, B12, नियासिन, विटामिन C और विटामिन E भी इसके मीट में खूब पाए जाते हैं. इसके अलावा चिकन में मिनरल्स लौह तत्व, कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा भी खूब मिलती है. कड़कनाथ का अंडा भी अच्छी पोषण गुणवत्ता वाला और पचाने में अच्छा माना गया है.
कड़कनाथ विश्व के काले मांस वाले मुर्गे में से एक प्रजाति है.
कड़कनाथ की मुख्यतया तीन प्रजातियां होती हैं.
जेट ब्लेक प्रजाति पूरी तरह काले रंग की होती है.
पेनसिल्ड कड़कनाथ प्रजाति के पंख ग्रे रंग के होते हैं.
सिल्की प्रजाति जो चीन में पाई जाती है.
एक और इंडोनेशिया में पाई जाने वाली अयाम सेमानी है.
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