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बनारसी साड़ी बनाने में होता है मखाने का इस्तेमाल! दुधारू पशुओं के चारे में भी आता है काम

बनारसी साड़ी बनाने में होता है मखाने का इस्तेमाल! दुधारू पशुओं के चारे में भी आता है काम

मखाने का इस्तेमाल ना सिर्फ ड्राइ फ्रूट बल्कि अन्य उत्पादों में भी किया जाने लगा है. जिस वजह से इसकी मांग में और बढ़त देखि जा रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मखाने का इस्तेमाल बनारसी साड़ी बनाने में भी किया जाता है? जी हाँ आपने सही सुना जिस मखाने का इस्तेमाल अब तक खाने के लिए किया जाता है अब उसका इस्तेमाल अन्य चीजों में भी किया जाता है.

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मखाने से बनाई जाती है बनारसी साड़ी मखाने से बनाई जाती है बनारसी साड़ी

मखाना एक जलीय फसल है. जिसकी खेती तालाबों और झीलों में की जाती है. बात जब भी मखाना की खेती की होती है तो मिथिला न नाम सबसे पहले आता है. बिहार के मिथिला राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती मांग के कारण मखाने की खेती नकदी फसल के रूप में की जाती है. आज के समय में मखाने का इस्तेमाल ना सिर्फ ड्राइ फ्रूट बल्कि अन्य उत्पादों में भी किया जाने लगा है. जिस वजह से इसकी मांग में और बढ़त देखि जा रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मखाने का इस्तेमाल बनारसी साड़ी बनाने में भी किया जाता है? जी हाँ आपने सही सुना जिस मखाने का इस्तेमाल अब तक खाने के लिए किया जाता है अब उसका इस्तेमाल अन्य चीजों में भी किया जाता है जैसे कि साड़ी बनाने में. इसके अलावा दुधारू पशुओं के चारे में भी मखाने का इस्तेमाल किया जाता है. 

मखाने से बनाई जाती है बनारसी साड़ी

मखाने के बीज में बहुत अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है. इसमें एक खास बात यह है कि इसके खसखस में उच्च गुणवत्ता वाला स्टार्च पाया जाता है जिसके कारण इसका उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले कपड़ों जैसे बनारसी साड़ियों और सूती कपड़ों की कोटिंग में किया जाता है. 

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मखाने से बनाया जाता है पशु चारा

मखाना से अन्य उत्पादों को तैयार करने के बाद उससे प्राप्त भूसी को वेस्ट पदार्थ माना जाता है. मखाना की भूसी में पॉप्ड मखाना का 4.98-5.46% हिस्सा होता है. मखाने से प्राप्त चोकर में 89.2% शुष्क पदार्थ, 7.1% प्रोटीन, 0.62% वसा तथा 94.4% कार्बनिक पदार्थ होते हैं. यह देखा गया है कि मखाने की भूसी सांद्रित पोल्ट्री फ़ीड (भोजन) का 6% हिस्सा बनाती है. इसी प्रकार, बकरी और अन्य दुधारू पशुओं के कच्चे भोजन का 40% हिस्सा मखाने की भूसी से बदला जा सकता है. मखाना की भूसी खिलाने से पक्षियों और पशुओं की शारीरिक वृद्धि, दूध उत्पादकता और पोषक तत्व में वृद्धि होती है.

मखाना में पाए जाने वाले पोषक तत्व

  • वजन प्रबंधन: पोषण मूल्य से भरपूर होने के कारण, मखाना स्वस्थ वजन बनाए रखने और किसी के आहार में मूल्य जोड़ने में मदद कर सकता है. इसके अतिरिक्त, इसमें कोलेस्ट्रॉल और वसा कम होता है, जो इसे वजन घटाने के लिए फायदेमंद बनाता है.

  • किडनी को रखे स्वस्थ्य: मखाना एक विषहरण एजेंट के रूप में कार्य करता है, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और प्लीहा को साफ करता है, जो रक्त कोशिकाओं को हटाने के लिए जिम्मेदार है. यह किडनी के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में योगदान देता है, क्योंकि यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को खत्म करके रक्त प्रवाह और पेशाब को नियंत्रित करने में मदद करता है.

  • लिवर को डिटॉक्सिफाई करना: मखाने के पोषण संबंधी लाभ लिवर के कार्य को बनाए रखने और चयापचय को बढ़ाने में भी योगदान देते हैं.
  • हड्डियों और दांतों को रखे स्वास्थ्य: मखाना कैल्शियम, मैग्नीशियम और प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो स्वस्थ हड्डियों और दांतों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक हैं.
  • एंटी-एजिंग: कमल के बीज या फॉक्स नट्स एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो उन्हें एक बेहतरीन एंटी-एजिंग भोजन बनाते हैं. एंटी-एजिंग के लिए मखाने का पूरा फायदा पाने के लिए मखाने को तलने की बजाय भूनकर खाना बेहतर है.
  • प्रजनन क्षमता के लिए अच्छा: बांझपन की समस्या से निपटने में भी मखाना पुरुषों और महिलाओं दोनों को फायदा पहुंचाता है. महिलाओं और पुरुषों के लिए मखाने के फायदों में वीर्य की गुणवत्ता में सुधार और शीघ्रपतन को रोकना शामिल है.
  • सूजन को रोकना: कमल के बीज में केम्पफेरोल नामक एक प्राकृतिक यौगिक होता है जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करता है. सूजन गठिया और गठिया जैसी कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार है. इस प्रकार, यह गठिया से पीड़ित रोगियों के लिए अच्छा है.
  • ग्लूटेन-मुक्त विकल्प: कई लोग जिन्हें गेहूं से एलर्जी है, वे ग्लूटेन-मुक्त विकल्प के रूप में मखाना खा सकते हैं क्योंकि इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है.