बकरी का दूध सिर्फ दूध ही नहीं दवाई भी है. कई बड़ी बीमारियों में बकरी का दूध दवाई से ज्यादा और पहले काम करता है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली की मानें तो यूरोप में बच्चों की 80 फीसद दवाईयों में बकरी का दूध इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेद से लेकर एलोपैथी तक में बकरी के दूध को महत्व दिया गया है. जानकारों का कहना है कि बकरी का दूध दो-चार नहीं एक दर्जन से ज्यादा फायदों से भरा हुआ है.
लेकिन परेशानी ये है कि चाहते हुए भी बहुत सारे लोग बकरी के दूध को नहीं पी पाते हैं. वजह है कि दूध में आने वाली अजीब सी स्मैल. बीमार होने पर मजबूरी में तो पी लेते हैं, लेकिन आम दिनों में बकरी का दूध पीने से कतराते हैं. लेकिन गोट एक्सपर्ट की मानें तो बकरियों के बाड़े में कुछ उपाय अपनाकर दूध में आने वाली इस स्मैल को खत्म किया जा सकता है.
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गोट एक्सपेर्ट और बकरी पालक राशिद ने बताया कि बकरी पालन के दौरान सबसे पहले तो हर तरह के बकरे-बकरी को अलग-अलग रखना चाहिए. जैसे हेल्दी बकरे-बकरी अलग, बीमार, दूध देने वालीं, छोटे बच्चे अलग रखे जाएं. इतना ही नहीं दूध देने वाली बकरियों के शेड में कभी भी बकरों को साथ नहीं रखना चाहिए. खासतौर से वो बकरे जिनसे आप ब्रीडर का काम ले रहे हैं. क्योंकि बकरों के अंदर से कुछ खास तरह के केमिकल निकलते हैं. ज्यादातर इन्हीं के चलते ही दूध में अजीब सी स्मैल आती है. दूसरा ये कि जहां पर दूध देने वाली बकरियां रखी जा रही हैं वहां साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाए. बकरी से दूध लेने के लिए किसी भी तरह की दवाईयों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली ने किसान तक को बताया कि बकरी के दूध में बहुत सारे गुण ऐसे हैं जो दवाई का काम करते हैं. जैसे डेंगू में बकरी का दूध कितना असरदार है यह तो सभी जानते हैं. लेकिन इसके साथ ही कैंसर और हार्ट के मरीजों को भी बकरी का दूध फायदा पहुंचाता है. लेक्टोज की मात्रा कम होने के चलते डायबिटीज के मरीजों को भी फायदा पहुंचाता है. साथ ही पेट की कई बीमारियों में फायदा करता है. आंत की बीमारी कोलाइटिस में भी बहुत ही फायदेमंद है.
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